खेतों में जल हानि को रोकने, धान की फसल को सुरक्षित रखने के उपायों पर चर्चा करते जिला कृषि अधिकारी पी0सी0 विश्वकर्मा।

Vijaydoot News

के के मिश्रा संवाददाता।

संत कबीर नगर। जिला कृषि अधिकारी पी0सी0 विश्वकर्मा जनपद के किसान भाइयों को सूचित किया है कि वर्तमान में वर्षा कम होने के कारण फसल को सुरक्षित रखने के उपायों को भी किए जाने की आवश्यक है। किसान भाईयों को फसल सुरक्षा के संबंध में अगवत कराना है कि खेत से जल हानि को रोकने के लिए मक्का, गन्ना की पुरानी पत्तियों को खेतों पर बिछा दे, तो उससे जल की हानि खेत से कम होगी।

इसी प्रकार धान फसलों में सुखा के प्रति महनशीलता बढ़ाने हेतु 2 प्रतिशत यूरिया एवं 2 प्रतिशत म्यूरेट ऑफ पोटाश के घोल का छिड़काव करें, जिससे फसल में सुखा के प्रति सहनशीलता आएगी। खेत में खरपरवार की निराई करा कर खेत में ही छोड़ा जाए,. तो खेत ढके होने पर उसकी नमी संरक्षित रहेगी। साथ ही सूखे की दशा में धान और गन्ने में कीट के प्रकोप बढ़ने की सांभावना ज्यादा रहती है। धान एवं गन्ना में कीट यथा दीमक, जड़ा/तना बेधक, चूहों को भी नियंत्रित किया जाना आवश्यक है। दीमक, जाड़ा/ताना भेदक कीट को नियंत्रित करने हेतु क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी की 2.5 लीटर सक्रिय तत्व का प्रत्येक हेक्टेयर की दर में चाहे मिट्टी में मिलाकर प्रयोग करें अथवा सिंचाई जल के साथ प्रयोग करें।

यदि माह अगस्त के आखिर तक फसल सूख जाती है अथवा खेत खाली रह जाते हैं, तो किसान भाइयों से अपील है कि सितबार माह के प्रथम पखवाड़े में लंबी अवधि की अरहर, अगेती राई सरसों, तोरिया इत्यादि की बुवाई कर सकते हैं। तोरिया की उपलब्धता जनपद के समस्त राजकीय कृषि बीज भंडार पर हो चुकी है। तोरिया की फसल 60 से 70 दिन की होती है, जिससे सरसों का तेल प्राप्त होता है एवं इसकी कटाई माह नवंबर के प्रारंभ में ही हो जाने की दशा में गेहूं /रबी की फसल भी किसान भाई आसानी से बुवाई कर सकते हैं।

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