निक्षय मित्र बनकर देश को टीबी मुक्त करने में दे सकते हैं योगदान, जानें कैसे
पवन कुमार रस्तोगी।
सबका साथ-सबका विकास के साथ ही अगर सबका विश्वास हो तो भारत बड़े से बड़े लक्ष्य को पार कर सकता है। इसी सूत्र के साथ अब भारत ने देश से टीबी की बीमारी को हराने का संकल्प लिया है, और 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। हाल ही में देश में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान लांच किया गया। इस अभियान को जन-आंदोलन बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए निक्षय मित्र योजना की भी शुरुआत की गई है। इस योजना का खास बात ये है कि टीबी के खिलाफ इस जंग में आम आदमी भी अपना योगदान दे सकता है। क्या है निक्षय मित्र योजना और कैसे आम आदमी अपना योगदान दे सकता है आइए जानते हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने किया लोगों से आह्वान :- केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने लोगों से निक्षय मित्र बनकर टीबी के खिलाफ जंग को मजबूती देने का आह्वान किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जिस तरह देश ने सम्मालित प्रयासों से कोरोना के खिलाफ जंग जीती है, उसी प्रकार टीबी के खिलाफ जंग को जीतने के लिए सम्मिलित प्रयास किया जाना आवश्यक है।

केंद्रीय मंत्री डॉ. मंडाविया ने कहा कि टीबी से हर साल 26 लाख लोग बीमार हो रहे हैं। पीएम मोदी ने टीबी की गंभीरता को समझा और 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि इस मुहिम को जन आंदोलन का रूप देना होगा। आम नागरिक, सहकारी समिति, राजनीतिक दल, सांसद, किसी भी राज्य में टीबी निक्षय मित्र बनकर उनके पोषण और व्यवसाय के विकास की जिम्मेदारी उठा सकते हैं। निर्णायक जंग में लोगों का सहयोग जरूरी है। मोदी सरकार ‘अंत्योदय’ के मंत्र के साथ 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है।
क्या है निक्षय मित्र योजना :- निक्षय मित्र योजना एक तरह से क्षय यानि टीबी रोग से पीड़ित लोगों को गोद लेने की योजना है। इस योजना के तहत कोई भी स्वयंसेवी संस्था, औद्योगिक इकाई या संगठन, राजनीतिक दल या कोई व्यक्ति भी टीबी के मरीज को गोद ले सकेगा, ताकि वह उसका प्रॉपर इलाज करा सके। इस अभियान के तहत व्यवस्था की गई है कि निक्षय मित्र बनने वाले व्यक्ति या संस्था कम से कम एक वर्ष के लिए और अधिक से अधिक तीन साल के लिए किसी ब्लॉक, वार्ड या जिले के टीबी रोगियों को गोद लेकर उन्हें भोजन, पोषण, आजीविका के स्तर पर जरूरी मदद उपलब्ध करा सकते हैं। लोग सामाजिक दायित्व के तहत मरीजों के इलाज और खानपान का खर्च उठा सकेंगे। इस अभियान से जुड़ने के लिए आप निक्षय पोर्टल http://www.nikshay.in पर रजिस्टर कर सकते हैं।
योजना का उद्देश्य:- इस अभियान को जन-आंदोलन बनाकर लोगों में टीबी के बारे में जागरूकता पैदा की जाएगी। उन्हें बताना होगा कि इस बीमारी की रोकथाम संभव है। इसका इलाज प्रभावी और सुलभ है तथा सरकार इस बीमारी की रोकथाम और उपचार के लिए निःशुल्क सुविधा प्रदान करती है।
जैसा की अक्सर देखने को मिलता है कि कुछ रोगियों और समुदायों में इस बीमारी को लेकर हीन भावना है और लोग इस बीमारी को कलंक के रूप में देखते हैं। यह भ्रम दूर करना होगा। सभी को यह जानकारी होनी चाहिए कि टीबी के कीटाणु हर व्यक्ति के शरीर में मौजूद होते हैं। किसी कारणवश जब किसी व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो व्यक्ति में यह रोग दिखता है। इलाज से इस बीमारी से जरूर छुटकारा मिल सकता है। ये सभी बातें लोगों तक पहुंचने के बाद ही टीबी से प्रभावित लोग इलाज की सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।
टीबी मरीजों को होगा लाभ:- दरअसल अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में या शहरी क्षेत्रों में भी लापरवाही की वजह से टीबी के मरीज बीच में ही अपना इलाज छोड़ देते हैं। टीबी के वायरस कई प्रकार के होते हैं, ऐसे में इनके इलाज और दवा भी अवधि भी अलग होती है और व्यक्ति के खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है, जिससे उसके अंदर संक्रमण से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। इलाज पूरा न होने और दवा सही समय पर न खाने से मरीज के अंदर का टीबी वायरस खत्म नहीं होता और दूसरे भी संपर्क में आकर संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में सरकार की गोद लेने की यह पहल भारत को टीबी मुक्त करने में बड़ा योगदान देगी। हालांकि ये प्रक्रिया मरीज के स्वेच्छा और उसकी अनुमति पर ही होगी।
भारत में टीबी की स्थिति :- कोविड-19 महामारी से निपटने में भारत ने विश्व के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत किया है। यही विश्वास अब की भारत नीति टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में भी दिख रही है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के अनुसार सभी देशों ने 2030 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य तय किया है, लेकिन भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है और इस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रत्येक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
भारत की आबादी विश्व की आबादी से 20 प्रतिशत से थोड़ा कम है लेकिन विश्व के कुल टीबी मरीजों का 25 प्रतिशत से अधिक है। टीबी रोग से ग्रसित अधिकतर लोग समाज के गरीब वर्ग के हैं। ऐसे में ‘न्यू इंडिया’ के साथ आगे बढ़ रहे देश के लोगों के स्वास्थ्य को ल्कर केंद्र सरकार गंभीर है।
टीबी से मुक्ति के लिए केंद्र सरकार के कदम :-
केंद्र सरकार ने इस बीमारी के खिलाफ एक जन आंदोलन खड़ा करने का आह्वान किया है। समाज में टीबी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 12 हजार से अधिक टीबी चैंपियंस को प्रशिक्षित किया गया। देश में 4.39 लाख से अधिक टीबी उपचार समर्थक अपने योगदान दे रहे हैं। वही निक्षय पोषण योजना के जरिए टीबी रोगियों को पूरक पोषण दिया जा रहा है। 2021 में 13.57 लाख टीबी रोगियों को डीबीटी के माध्यम से 294.88 करोड़ की सहायता भी जारी की गई थी। इसके अलावा RNTCP के तहत सभी रोगियों को टीबी रोधी दवाओं सहित नि:शुल्क निदान और उपचार की सुविधा भी प्रदान की गई है। इसके अलावा कोरोना के साथ टीबी का बाईडायरेक्शनल टेस्टिंग’, घर-घर टीबी का पता लगाने के अभियान, उप-जिला स्तरों पर तेजी से कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल उपकरणों का उपयोग शामिल है।