राज्यपाल महोदया ने तीन दिवसीय अखिल भारतीय संस्कृति महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में हुई सम्मिलित।

Vijaydoot News

बच्चों में संस्कृति एवं संस्कार को विकसित करने में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान का प्रयास सराहनीय।

प्राथमिक विद्यालयों से ही बच्चों को योग एवं संस्कृति की दी जाये शिक्षा।

देश के चहुमुखी विकास में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका।

बच्चों के भविष्य के लिए आज से ही जल व पर्यावरण को बचाने का करना होगा प्रयास।

ऐसे आयोजनों से बच्चों का होगा सर्वांगीण विकास।

प्रयागराज से पवन रस्तोगी की रिपोर्ट।

प्रयागराज। राज्यपाल, उ0प्र0 श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी शनिवार को ज्वालादेवी इण्टर कालेज में विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय संस्कृति महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुई। राज्यपाल महोदया ने कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती का वंदन करते हुए दीप प्रज्जवलन कर किया।

इस अवसर पर वहां उपस्थित लोगो को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल महोदया ने कहा कि अखिल भारतीय संस्कृति महोत्सव में आप सभी के मध्य पहुंचकर मुझे अपार प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। मुझे खुशी है कि भारतीय संस्कृति के गौरव से नयी पीढ़ी को परिचित कराने के लिए विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान हर वर्ष विद्यालय स्तर से लेकर अखिल भारतीय स्तर तक चार वर्गों में संस्कृति ज्ञान प्रश्न मंच का आयोजन करता है। राज्यपाल महोदया ने कहा कि विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान ने 22 लाख से ज्यादा बच्चों को राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने कहा कि बच्चों को प्राइमरी स्कूल से ही योग शिक्षा, संस्कृति का ज्ञान दिया जाना चाहिए। बच्चों के विकास के लिए उनको अच्छे संस्कार दिए जाने चाहिए।

राज्यपाल महोदया ने कहा कि हर बच्चों में कोई न कोई प्रतिभा होती है। इस तरह के प्रोग्राम के माध्यम से बच्चों के अंदर छिपी उनकी प्रतिभाओं को और निखारा जा सकता है। उन्होंने कहा कि विद्या भारती के विद्यालयों में अनुशासन होता है तथा यहां पर बहुत ही सुंदर प्रार्थनाएं करायी जाती है, जिससे बच्चों में अनुशासन के साथ ही अपनी संस्कृति के प्रति प्रेमभावना जागृत होती है। उन्होंने कहा कि हर देश अपनी शिक्षा व्यवस्था को अपने सांस्कृतिक एवं जीवन मूल्यों के साथ जोड़कर राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों के अनुसार सुधार करते हुए चलता है। मकसद ये होता है कि देश की शिक्षा व्यवस्था अपनी वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को उज्ज्वल और सुरक्षित करें।

राज्यपाल महोदया ने कहा कि नई शिक्षा नीति भी इसी सोच पर आधारित है। शिक्षा नीति इक्कीसवीं सदी के भारत की नींव तैयार करने वाली है। इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता एक मजबूत अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देना है। राज्यपाल महोदया ने कहा कि जब वे गुजराज की शिक्षा मंत्री थी, तब प्रधानमंत्री वहां के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने प्राइमरी स्कूलों से ही बच्चों को योग की शिक्षा देने को कहा। उस समय हमारे पास योग से प्रशिक्षित टीचरों की कमी थी। हमने विद्या भारती से टीचरों की टेªनिंग कराकर प्राइमरी स्कूलों में योग की शिक्षा देना शुरू कराया।

राज्यपाल महोदया ने कहा बच्चों के ज्ञानवर्धन के लिए पुस्तकालय बहुत ही आवश्यक है। पुस्तकालयों में भारत की आजादी से सम्बंधित पुस्तकों को रखा जाये, जिससे कि हमारी युवा पीढ़ी को इस बात की जानकारी हो कि भारत को आजाद कराने में किन महापुरूषों का क्या योगदान रहा था साथ ही आजादी से सम्बंधित नाटकों को तैयार कर बच्चों को अवश्य दिखाया जाना चाहिए, जिससे आज की युवा पीढ़ी चरित्रवान, देशप्रेमी और देश को आगे ले जाने वाली बने। प्रधानमंत्री का यह मानना है कि जब तक महिलाएं आगे नहीं बढ़ेगी तक तक देश की उन्नति सम्भव नहीं है। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएं स्वावलम्बी बन रही है तथा देश को विकास के पथ पर आगे ले जाने में अपना योगदान दे रही है। आज महिलाएं समर्थवान होकर अपना घर चला रही है साथ ही अपने बेटे-बेटियों को भी आगे बढ़ने के लिए सही प्रशिक्षण प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि देश के चहुमुखी विकास में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। राज्यपाल महोदया ने कहा कि हमें अपने बच्चों के भविष्य के लिए आज से ही पानी व पर्यावरण को बचाने का प्रयास करना होगा। हमें यह संकल्प लेना है कि हम पानी की बर्बादी नहीं होने देंगे तथा दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करेंगे।

राज्यपाल महोदया ने कहा कि आज का यह आयोजन हमें अपनी महान संस्कृति, उदात्त जीवन मूल्य और गौरवपूर्ण इतिहास, आदर्श पुरूषों तथा राष्ट्र नायकों की जीवन गाथा और अपनी श्रेष्ठ परम्पराओं से युवा पीढ़ी को अवगत कराने के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा, क्योंकि हमारे युवा ही हमारी संस्कृति के संवाहक है। उन्होंने इस प्रकार के आयोजन के लिए विद्या भारती को बधाई देते हुए कहा कि दूसरे स्कूलों में भी इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन होना चाहिए। इस तरह के आयोजनों से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। भारतीय संस्कृति का यह महोत्सव देश के प्रयासों को तथा भारत के विचारों को दुनिया तक पहुंचाने का माध्यम बने, ये हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि इस भारतीय संस्कृति के आदर्शों पर चलते हुए एक नया भारत बनायेंगे और बेहतर दुनिया का सपना साकार करेंगे। राज्यपाल महोदया ने विद्यालय प्रांगण में लगायी गयी प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

इस अवसर पर महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी, विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान कुरूक्षेत्र के अध्यक्ष यतीन्द्र जी सहित अन्य लोगो ने भी कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में विद्या भारतीय अखिल भारती शिक्षा संस्थान के सह संगठन मंत्री डाॅ0 ललित बिहारी गोस्वामी, जिला पंचायत अध्यक्ष डाॅ0 वी0के0 सिंह, विधायक शहर उत्तरी डाॅ0 हर्षवर्धन वाजपेयी,विधायक शहर पश्चिमी सिद्धार्थनाथ सिंह, विधायक करछना पीयूष रंजन निषाद सहित अन्य जनप्रतिनिधिगणों के अलावा विद्या भारती के प्रधानाचार्य, शिक्षकगण व काफी संख्या में स्कूली बच्चें उपस्थित रहे।

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