जिले में समाधान दिवस बना शो पीस।

Vijaydoot News

सुल्तानपुर से घनश्याम दूबे की रिपोर्ट।

लम्भुआ/सुल्तानपुर। खबर बड़ी दिलचस्प है जिले का थाना दिवस हो ब्लॉक दिवस या फिर हो सम्पूर्ण दिवस बीते 6 वर्षों से जिस कदर इसका माखोल बनाया गया अधिकारियों के मातहत कर्मचारियों के द्वारा जिस प्रकार की आख्या प्रस्तुत की जा रही है वह बानगी देखने योग्य है। शिकायत की गुणवत्ता से किसी भी अधिकारी को सिर्फ पोर्टल पर आख्या अपलोड कर पेंडेंसी मात्र समाप्त की जा रही है। शिकायतकर्ता ने शिकायती पत्र में क्या लिखा है इससे कोई भी मतलब नहीं है सिर्फ खाना पूर्ति ही हो रही है वह शिकायत चाहे मुख्यमंत्री से की जाय या जिलाधिकारी से क्या फर्क पड़ता है क्योंकि पटल पर शिकायत लोड करने वाले आखिर क्या और क्यों देखें अथवा जाने।

शनिवार को लम्भुआ थाना दिवस मनाया गया जिसमें कुछ शिकायतकर्ता वा हल्का लेखपाल ही हैं। चित्र को देख कर आप स्वयं अंदाज़ा लगाने में मजबूर हो जाएंगे कि आखिर जनता के द्वारा शिकायत का जिस प्रकार निस्तारण हो रहा है यहा तो जनता की अब शिकायत ही नहीं या फिर शिकायत करते करते हैरान वा परेशान हो गया है फ़ोटो कापी रजिस्ट्री और दौड़ते दौड़ते थक हार गया है। सच का सामना करना और जनता को न्याय ना मिल पाना यह चुनौती सरकार को है अन्तिम पायदान पर खड़ा वह मजबूर व्यक्ति को किस प्रकार से न्याय मिल पाता है यह समझ के परे है।

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिस सपने को लेकर इस पोर्टल को बनवाया था कि उस गरीब का भी भला हो सकता है जो अधिकारियों से अपनी बात भी कहने में असमर्थ हुआ करता है। अखिलेश यादव की सरकार में इस पोर्टल पर लोगों को काफी समस्याओं का निस्तारण भी हुआ था। यह सपना बाबा के आते ही अधिकारियों के द्वारा ध्वस्त कर दिया गया। ’अब तो राम ही जान बचाए बेड़ा पार लगाये।’ यह लाइनें पूरी तरह फिट हैं कमोबेश यही हाल हर जिले का है। कोई भी जिला अछूता नहीं है, समय रहते यदि इसपर विचार नहीं किया गया तो आने वाले समय में जनता में त्राहि त्राहि होती रही है और होती रहेगी। सरकार की मर्जी वह जनता का दोहन रोके या फिर पिसने के लिये छोड़ दें।