भागवत कथा का श्रवण ही जीवन के उद्धार की सीढ़ी।

Vijaydoot News

रिपोर्ट- अभिनव अग्रवाल।

नजीबाबाद। सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथावाचक अमरीश दास जी महाराज ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला, मथुरा गमन, कंस वध, श्री कृष्ण – रुक्मिणी विवाह की कथा सुनायी। श्रद्धालुओं ने आनंद से कथा सुनी। भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। श्रद्धालुओं ने श्री कृष्ण और रुक्मणी की वरमाला पर जमकर फूलों की बरसात की। कथा में चल रहे भक्तिमय भजनों पर श्रोता भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे। तथा कथा परिसर में भगवान श्री कृष्ण के जयकारों की गूंज गुंजायमान हो उठी।

अमरीश दास जी महाराज ने बताया भागवत पुराण में कहा गया है कि जो कोई भी ईमानदारी से रास लीला को सुनता है या उसका वर्णन करता है वह कृष्ण की शुद्ध प्रेमपूर्ण भक्ति को प्राप्त करता है।

कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है, इसलिए जीव के अंदर अपारशक्ति रहती है यदि कोई कमी रहती है, वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प व कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। भागवत कथा से बडा कोई सत्य नहीं है। भागवत कथा अमृत है इसके श्रवण करने से मनुष्य अमर हो जाता है। यह एक ऐसी औषधि है, जिससे जन्म-मरण का रोग मिट जाता है। इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।