
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने 6 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है।सपा ने अखिलेश यादव की करहल सीट से उनके भतीजे तेज प्रताप यादव को टिकट दिया है। तेज प्रताप यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं। तेज प्रताप लोकसभा चुनाव में कन्नौज से टिकट मिला था,लेकिन बाद में उनकी जगह अखिलेश यादव खुद चुनाव लड़े।
10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव लिए सपा ने प्रत्याशियों के नामों का एकतरफा ऐलान कर दिया है।ये कांग्रेस के लिए झटके की तरह है। दरअसल मिल्कीपुर और फूलपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस दावा कर रही थी, लेकिन सपा ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं।सपा सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को कटेहरी से टिकट मिला है। सपा सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मिल्कीपुर से टिकट मिला है।विधायक इरफ़ान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को कानपुर के सीसामऊ से टिकट दिया गया है।
फूलपुर से मुस्तफा सिद्दकी को टिकट दिया गया है। मझंवा से डॉ. ज्योति बिंद को सपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है।
करहल से प्रत्याशी तेज प्रताप यादव सैफई परिवार से हैं। तेज प्रताप मुलायम सिंह के बड़े भाई के पोते हैं। तेज प्रताप मैनपुरी से सांसद भी रह चुके हैं। तेज प्रताप की शादी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी राजलक्ष्मी यादव से साल 2015 में हुई थी।नसीम सोलंकी पूर्व सपा विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी हैं। अजीत प्रसाद फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे हैं।शोभावती वर्मा अंबेडकरनगर के सांसद लालजी वर्मा की पत्नी हैं। शोभावती जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं।ज्योति बिंद सपा नेता रमेश बिंद की बेटी हैं। रमेश बिंद अनुप्रिया पटेल से लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर से हार गए थे।
बता दें कि सपा ने अभी तक चार सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान नहीं किया हैं।इनमें गाज़ियाबाद से भाजपा,खैर से भाजपा,मीरापुर से आरएलडी प्रत्याशी और कुंदरकी से सपा प्रत्याशी ने 2022 के चुनाव में जीत दर्ज की थी। माना जा रहा है कि सपा कांग्रेस के लिए कुछ सीटें छोड़ सकती है। हालांकि कुंदरकी सपा अपने पास ही रखना चाह रही है।
ऐसा लगता है कि सपा ने किसी खास रणनीति के तहत ही 6 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है।लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस के साथ सपा की सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन सकी थी,जिसके बाद अखिलेश यादव ने नामों का ऐलान कर दिया था,लेकिन बाद में दोनों के बीच सहमति बन गई थी।सपा ने कांग्रेस को 17 सीटें दे दी थीं।अब उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामों के ऐलान को भी रणनीति के तौर पर ही देखा जा रहा है।