
मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर जल्द उपचुनाव होगा।बरहाल चुनाव आयोग ने अभी उपचुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है।उपचुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने बीते दिनों 6 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है।इसमें मंझवा विधानसभा सीट भी शामिल है।मझवां से पूर्व विधायक और भदोही से पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी डॉ. ज्योति बिंद को सपा ने उपचुनाव में मझवां से प्रत्याशी बनाया है।
25 वर्षीय ज्योति बिंद पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। ज्योति की सियासी विरासत काफी मजबूत है।ज्योति के पिता रमेश बिंद मंझवा विधानसभा सीट से तीन बार बहुजन समाज पार्टी से विधायक रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में रमेश बिंद भदोही से भाजपा सांसद बने थे।वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में रमेश बिंद इंडिया गठबंधन से चुनाव लड़ा था।अनुप्रिया पटेल ने रमेश बिंद को 3700 वोट से हरा दिया था। ज्योति की मां भी साल 2014 में बसपा से चुनाव लड़ चुकी हैं।
राजनीतिक दिग्गजों की अखाड़ा रही है मझवां विधानसभा
बताते चलें कि मझवां विधानसभा कई दिग्गजों की सियासी अखाड़ा रह चुकी है।लोकपति त्रिपाठी भी मझवां से विधायक रह चुके हैं।साल 1952 में मझवां विधानसभा अस्तित्व में आयी थी।इस विधानसभा में ब्राह्मण और बिंद बिरादरी का ज्यादा दबदबा रहा है।इस विधानसभा पर रमेश बिंद का कब्जा था।हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सुचिस्मिता बिंद ने रमेश बिंद को हरा दिया था।
जानें कब कौन रहा मझवां से विधायक
मझवां विधानसभा बहुत लंबे समय तक रिजर्व रही थी,लेकिन 1974 में यह सामान्य हो गई। 1952 में कांग्रेस के बेचन राम, 1957 में कांग्रेस के बेचन राम, 1960 में कांग्रेस के बेचन राम, 1962 में भारतीय जनसंघ के राम किशुन, 1967 में कांग्रेस के बेचन राम, 1969 में कांग्रेस के बेचन राम, 1974 में कांग्रेस के रुद्र प्रसाद सिंह, 1977 संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के शिवदास, 1980 में कांग्रेस के लोकपति त्रिपाठी, 1985 में कांग्रेस के लोकपति त्रिपाठी, 1989 में जनता दल के रुद्र प्रसाद, 1991 में बसपा के भागवत पाल, 1993 में बसपा के भागवत पाल, 1996 में भाजपा के रामचंद्र, 2002 में बसपा के डॉक्टर रमेश चंद बिंद, 2007 में बसपा के रमेश चंद बिंद, 2012 में बसपा के रमेश चंद बिंद, 2017 में भाजपा के प्रत्याशी, 2022 में अनुप्रिया पटेल ने चुनाव जीता।
लखनऊ में मझवां वालों की रहती थी धाक
मझवां विधानसभा कभी वीआईपी विधानसभा हुआ करती थी।यहां से विधायक बनने के बाद नेता मंत्री हुआ करते थे, जिसमें लोकपति त्रिपाठी,रुद्र प्रसाद और भागवत पाल जैसे दिग्गज शामिल थे।मझवां से जब लखनऊ कोई आदमी काम करवाने जाता था तो मझवां का नाम लेते ही उसका काम हो जाता था।