रिपोर्ट : अभिनव अग्रवाल।
हरिद्वार। ज्ञान कुंभ हरिद्वार में शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में एक प्रदर्शनी का आयोजन देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार में किया गया।
महाविद्यालय के चित्रकला विभाग से छात्र-छात्राओं को डॉक्टर वर्षा रानी, डॉक्टर प्रिया प्रधान एवं डॉ विकास तायल लेकर गए । महाविद्यालय प्रबंधन तंत्र के डॉ केपी सिंह सचिव, डॉक्टर हर्ष कुमार दौलत एवं उपाध्यक्षा डॉ प्रभावती व प्राचार्य डाॅ० अजीत राव ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
विश्वविद्यालय में कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर चिन्मय पांडे कुलपति देव संस्कृति विश्वविद्यालय, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे डॉक्टर धन सिंह रावत माननीय शिक्षा मंत्री उत्तराखंड, मुख्य वक्ता डॉ अतुल भाई कोठारी, राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि संजय बंसल कुलाधिपति देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय देहरादून, डाॅ०पंकज मित्तल महासचिव भारतीय विश्वविद्यालय संघ नई दिल्ली आदि के द्वारा प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। जिसमें विभिन्न प्रांतों से आए छात्र-छात्राओं ने आत्मनिर्भर भारत से संकल्पित प्रदर्शनी में प्रतिभागिता की।
हर्ष विद्या मंदिर पीजी कॉलेज रयसी के छात्र-छात्राओं ने हस्त निर्मित वस्तुओं को वहां पर प्रदर्शित किया। जिसमें उत्तराखंड की लोक कला ऐपण से बने थाल जिन पर शीशे से कलाकारी की गई थी, हस्त निर्मित वन्दनवार, हस्त निर्मित हाथ से पेंट की हुई चादरें, मेजपोश, दुपट्टे,
साड़ी व बोतलों पर सुंदर-सुंदर डिजाइन किए गए। दरवाजों पर सजाने के लिए विभिन्न प्रकार की लटकने वाली दीपावली पर सजा जाने वाली विभिन्न प्रकार के दीया स्टैंड जो बहुत ही आकर्षक लग रहे थे। “माननीय शिक्षा मंत्री जी ने छात्रों के कार्य की भूरि भूरि प्रशंसा की जिससे छात्रों क्या मनोबल बढ़ा और उन्हें रोजगार के अवसर से जिस प्रकार से जोड़ा गया था उससे वह बहुत ज्यादा प्रभावित हुए।
उन्होंने कहा कि आज शिक्षा में इसी प्रकार के कार्यों की आवश्यकता है । शिक्षा को हमें कौशल से जोड़कर चलना है ताकि छात्र और छात्राएं आगे चलकर अपने स्वयं के व्यवसाय शुरू कर पाए और एक सुदृढ़ विकसित भारत का निर्माण कर पाएं । प्रतिभागी छात्रों में नीलू , काजल, वर्षा, तनु , काजल सिंघवाल, अंशिका, सुधांशु , सौरभ थे।
महाविद्यालय में आकर छात्रों की प्रशंसा की गई साथ ही प्रबंध तंत्र ने छात्रों को इसी तरह से अन्य आयोजनों में भी सम्मिलित होने के लिए उनका मनोबल बढाया और कहा कि रोजगार के अवसरों को वहां से सीख कर आए जिससे घर बैठकर वह स्वंय का व्यवसाय कर सकते हैं।
प्राचार्य डॉक्टर अजीत राव जी ने बच्चों को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।