
•आम जनता द्वारा ग्राम प्रधान के द्वारा कराये गया कार्यों की सराहना की गई।
•पंचायत सहायक की क्रियाकलाप से शिवसरा ग्राम पंचायत की जनता छुब्ध, नियमित न बैठने से ग्राम पंचायत का कार्य हो रहा है बाधित, जिम्मेदार कौन?
के के मिश्रा संवाददाता।
संत कबीर नगर। जनपद के खलीलाबाद विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत शिवसरा में ग्राम प्रधान द्वारा ग्राम पंचायत में कराए गए विकास कार्यों का सोशल आडिट दो दिवसीय स्थलीय व भौतिक सत्यापन करने के बाद बुधवार को खुली बैठक में की गई।

ग्राम पंचायत में प्रधान द्वारा कराए गए विकास कार्यों का लेखा-जोखा खुली बैठक पंचायत भवन कार्यालय शिवसरा में बीआरपी राजकुमार की उपस्थिति में सोशल आडिट टीम के सदस्यों द्वारा बिंदुवार रखा गया जिस पर ग्राम पंचायत के ग्रामीणों द्वारा आम सहमति जताई गई। खुली बैठक में ग्राम पंचायत सेक्रेटरी पंचायत सहायक नेहा पटेल, रोजगार सेवक मौके पर टीम के साथ नहीं दिखाई दिए और ना ही इनके द्वारा कोई सहयोग प्रदान किया गया।
बताते चलें की मौके पर तकनीकी सहायक अवधेश मौजूद रहे, लेकिन सोशल आडिट टीम के पर्यवेक्षक जिला आपूर्ति अधिकारी भी अनुपस्थित पाए गए। सूत्रों की माने तो ग्राम पंचायत में प्रधान और ग्राम पंचायत सहायक के बीच तालमेल न बैठने के कारण सिस्टम अब तक अपडेट नहीं दिखाई देता जिससे जनता को जरूरी शासन द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं का ऑनलाइन नहीं हो पाता। मजबूरन ग्राम पंचायत के लोग पंचायत सहायक का सहयोग न पाकर नजदीक के कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर अपना काम करवाते हैं।
इस संबंध में पंचायत सहायक नेहा पटेल से बातचीत किया गया तो उनका यह मानना था कि मेरा सोशल ऑडिट से कुछ लेना देना नहीं है। ऐसा कह के वह पल्ला झाड़ती नजर आई। उनका कहना है कि मेरा इस सोशल ऑडिट बैठक से कुछ लेना देना नहीं है, भाई लेना-देना रहे क्यों जब पंचायत सहायक का ना कोई कमरा है और ना कहीं सिस्टम अपडेट दिखाई देता हैं।
बताया यह भी जाता है कि समस्त सिस्टम पंचायत सहायिका अपने घर ले जाकर के सुरक्षित रखी हुई है ताकि उसे कोई चुरा न सके, इस संबंध में पंचायत सेक्रेटरी निधि मिश्रा द्वारा बताया गया कि जहां तक मेरी जानकारी है कि पंचायत सहायिका के बैठने का स्थान न होने के कारण ग्राम पंचायत के कार्यों में बाधा पहुंच रही है, जहां तक मुझे सूचना है कि पंचायत सहायिका का वेतन भी 6 माह से बाधित है जिसका भुगतान नहीं किया गया है। बार-बार मेरे ऊपर दबाव दिया जा रहा है भुगतान कर दीजिए जबकि मैं एक माह पहले शिवसरा ग्राम पंचायत का कारभार संभाली हूं। अगले सचिव के पांच माह के कार्यकाल के संबंधित सूचना मिलने पर उनके तनख्वाह को रिलीज किया जाएगा अन्यथा इनकी सैलरी रोका जा सकता है।
इस संबंध में ग्राम पंचायत शिवसराय के ग्राम प्रधान से जानकारी जब हासिल की गई तो उनका कहना है कि उपरोक्त आरोप निराधार है। सिस्टम की जानकारी और सिस्टम के बारे में जो कुछ भी है, वह पंचायत सहायक नेहा पटेल जानती है। ना मेरे वहां उनका कोई सिस्टम है ना मेरी किसी जानकारी में उनका कोई काम दिखाई देता है।
जहां एक तरफ सरकार शासन द्वारा जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर पंचायत सहायकों की नियुक्ति करके काम को और आसान कर देना चाहती है। वहीं ऐसे ही पंचायत सहायक शासन के द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं को ऑनलाइन सिस्टम के माध्यम से ना तो सरकार तक पहुंच पाते हैं और न जनता का ही कार्य कर पाते हैं, ऐसे में शासन दोषी है या ग्राम पंचायत स्तर के अधिकारी गण दोषी कौन?