
बस्ती। समस्त भारतीय पर्व मानवमात्र के लिए बहुत ही वैज्ञानिक सोच के साथ बनाए गए थे जो मानवमात्र के लिए थे। इसे किसी वर्ग विशेष से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। इसे सबको मिलकर मनाया जाना चाहिए। होली के हुड़दंग के बीच ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती के ओर से आया यह बयान अत्यन्त विचारणीय है। उनका कहना है कि होली केवल हिन्दुओं का त्यौहार नहीं है बल्कि धरती पर रहने वाले जितने लोग अन्न खाते है उन सबका त्यौहार है।



वैद्य संजय दुबे ने बताया कि होली पर्व का प्राचीन नाम वासन्ती नवस्येष्टि है अर्थात नए अन्न का यज्ञ। अनाज के ऊपरी पर्त को होलिका कहते हैं और अंदर के गुदे को प्रहलाद कहते हैं। होलिका को माता इसलिए कहते है कि वह दानों को रक्षा करती है। यदि यह पर्त (होलिका) न हो तो गेहूं, जौ चना, मटर रुपी प्रह्लाद का जन्म नहीं हो सकता। जब चना, मटर, गेहूँ व जौ भुनते हैं तो वह पट पर या गेहूँ, जौ की ऊपरी खोल पहले जलता है, इस प्रकार प्रह्लाद बच जाता है। उस समय प्रसन्नता से होलिका माता की जयकार किया जाता है। इसी अधजले अन्न को होलक कहते हैं। इसी कारण इस पर्व का नाम होलिकोत्सव है। यज्ञ के माध्यम से वह नवान्न सर्वप्रथम अग्निदेव पितरों को समर्पित करके तत्पश्चात् स्वयं भोग करते थे।
प्रधानाध्यापक आदित्य नारायण गिरि ने बताया कि यह यज्ञ ऋतुओं के बदलने पर पैदा हुए रोगों के नाश के लिए भी किए जाते थे। अपनी बुराई को भस्म करने और सद्गुणों को प्रकाशित करने का त्यौहार है। अनूप कुमार त्रिपाठी ने कहा कि अग्नि देवों–पितरों का मुख है जो अन्नादि शाकल्यादि आग में डाला जायेगा। वह सूक्ष्म होकर पितरों देवों को प्राप्त होगा।
हरिहर मुनि वानप्रस्थी ने बच्चों से बताया कि आदिकाल से ही यह त्यौहार मनाया जाता रहा है। जब तक इसका स्वरूप याज्ञिक रहा तब तक देश रोग और शोकमुक्त रहा पर इसका स्वरूप बिगाड़ कर अब लोग रोग और शोकयुक्त होते जा रहे हैं। इसे हमें ही ठीक करना होगा। कार्यक्रम में बच्चों ने भी होली पर गीत कविता और लघु व्याख्यान प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर शिक्षकों ने बच्चों को रासायनिक रंगों का प्रयोग कम करने और होली खेलने की सावधानियां बताई। कार्यक्रम के समापन पर बच्चों को प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम में आदित्य आर्य, दिनेश कुमार, नितेश कुमार, अनीशा मिश्रा, महक मिश्रा, पूजा गौतम, अंशिका पाण्डेय, प्रीति रावत, स्वप्नल, शिवांगी गुप्ता सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।