
•हमारे सामाजिक पतन का कारण है मेरठ जैसी घटनाएं।
✍️रामयश मिश्र।
विचार मंथन। उत्तर प्रदेश के मेरठ में मुस्कान सौरभ कांड, औरैया में शादी के 15 दिन बाद प्रेमी से मिलकर पत्नी द्वारा पति की हत्याकांड और अभी उत्तर प्रदेश के ही संत कबीर नगर में पति द्वारा अपनी पत्नी का शादी प्रेमी के साथ कराने की घटना बहुत ही दुखी करने वाली है। इन घटनाओं को देखकर यही लग रहा है कि हमारा सामाजिक ताना-बाना टूट रहा हैं, अब हमारे आसपास का समाज, अब व्यक्तिवादी बनता जा रहा है। आप कल्पना कीजिए आज से 15 -20 वर्ष पहले अगर हमारे आसपास कोई भी गलत या अनैतिक कार्य होता था तो सबसे पहले समाज के लोग इसका विरोध करते थे और वह गलत कार्य बंद हो जाता था लेकिन आज इस आर्थिक युग में जहां सिर्फ और सिर्फ पैसा है वहां हमारा सामाजिक पतन, नैतिक पतन और चारित्रिक पतन बहुत तेजी से हो रहा है।
आज हमारे गली मोहल्ले में पैसे के लिए वह सभी अनैतिक कार्य हो रहे हैं जो कभी कोठों या बदनाम जगहों पर होते थे। आज इस आधुनिक युग में गली-गली में खुले होटलों, गेस्ट हाउसों में क्या हो रहा है, यह किसी से छुपा नहीं है लेकिन प्रश्न ये उठता है कि हमारा समाज क्या कर रहा है? हम आलोचना तो खूब करते हैं कि फला जगह गलत कर हो रहा है, लेकिन हम उसका विरोध नहीं करते हैं, नतीजा कुछ दिनों बाद वहां से शर्मनाक घटनाएं होने का समाचार अखबारों चैनलों के माध्यम से सुनाई पड़ता है और हम ये जानकर दंग रह जाते हैं कि यह घटनाएं हमारे घर के पास, बगल में ही हुई है और हमे पता नहीं चला, जो समाज का एक सफेद झूठ है।
सबको पता चलता रहता है कि उनके आसपास क्या घटनाएं हो रही है लेकिन वह आंख बंद करके, कान बंद करके चलते बनते हैं और कहते हैं कि हमसे क्या मतलब है लेकिन उनका यह शब्द हमसे क्या मतलब है, समाज में गलत कार्य करने का रास्ता बना रहा है। आज शहरों में खुले हुक्का बार में क्या हो रहा है, ये हम सब जानते हैं, पार्टी के नाम पर नशा करना, अश्लील डांस करना, मोबाइल पर अर्धनग्न रील बनाकर सुर्खियां प्राप्त करना भी एक सामाजिक पतन ही है, जिसे हम एडवांस होने के नाम पर खारिज करते जा रहे हैं। आज हमारे घर की बहन, बेटियां रील बनाने के नाम पर अपने शरीर का प्रदर्शन कर रही है। क्या यह हमारा सामाजिक पतन नहीं है?
मुस्कान और सौरभ की घटना भी समाज के अनदेखी के कारण हुआ है। अगर समाज थोड़ा सा भी गंभीर रहता तो इस तरह की घटनाएं नहीं होती अगर हम अपने आसपास की घटनाओं पर थोड़ा सा भी ध्यान दे दें और समाज के लोगों को लेकर इसका विरोध करें तो इस तरह की घटनाएं बंद हो सकती है लेकिन आज हम सिर्फ और सिर्फ व्यक्तिवादी सोच के शिकार होते जा रहे हैं। हमको पैसा चाहिए चाहे वह जिस तरह से आए और उसके लिए हम अपना नैतिक पतन, चारित्रिक पतन और सामाजिक पतन करते जा रहे हैं, लेकिन हमें यह भी सोचना होगा कि हमारे घर में भी बेटा बेटी और परिवार है, अगर आज हम इस तरह की घटनाओं को अनदेखी करेंगे तो कल मेरे साथ भी इस तरह की घटनाएं हो सकती है।
अभी भी समय है हम अपने समाज को मजबूत बनाएं और सबसे पहले तो हम खुद गलत काम मत करें और अगर कहीं गलत कार्य हो रहे हैं तो उसका समाज से मिलकर विरोध करें और उसे बंद कराये। सबसे बड़ी बातें है कि इन सभी घटनाओं में जो
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि सनातन धर्म के 16 संस्कारो में से सबसे महत्वपूर्ण संस्कार जो विवाह संस्कार है उसको इन घटनाओं ने मजाक बना दिया है। हमारा सनातन धर्म, विवाह संस्कार को एक महत्वपूर्ण संस्कार मानता है और इसी से हमारा समाज बनता है और अगर यह संस्कार भी पतन के कगार पर पहुंच जाएगा तो सनातन संस्कृति भी खत्म हो जाएगी। हमारे वेद पुराणों उपनिषदों में लिखा है की रोटी बेटी का रिश्ता बहुत सोच समझ कर करना चाहिए लेकिन आज यह रोटी बेटी वाला संस्कार खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है जिसका सबसे प्रमुख कारण हमारा समाज ही है।