
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क द्वारा कल आयोजित हुए ‘महाकुम्भ महासम्मेलन’ में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत के ऋषि-मुनियों ने ज्ञान की धारा का प्रतिनिधित्व करते हुए देश को नई प्रेरणा दी है, और कुम्भ व महाकुम्भ के आयोजन इस परंपरा को आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से आगे बढ़ाने का कार्य करते रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कुम्भ और महाकुम्भ के आयोजन को विरासत और विकास के अद्भुत संगम के रूप में निरूपित किया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ एक सशक्त माध्यम है, जो प्रधानमंत्री जी द्वारा स्थापित नए प्रतिमानों को नई ऊंचाई प्रदान करेगा।उन्होंने भारत की सनातन धर्म परंपरा की प्राचीनता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसकी तुलना किसी अन्य धर्म या सम्प्रदाय से नहीं की जा सकती। कुम्भ और महाकुम्भ के आयोजन भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम का एक महासमागम हैं, जो दुनिया को भारतीय संस्कृति और एकता का संदेश देते हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रयागराज महाकुम्भ 2025 को एक अद्भुत अवसर बताया और कहा कि 144 वर्षों के बाद इस वर्ष ऐसा शुभ मुहूर्त बन रहा है, जो देश-विदेश के श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा। प्रधानमंत्री जी ने महाकुम्भ के आयोजन को जाति, पंथ और अस्पृश्यता के भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास बताया।उन्होंने महाकुम्भ के आयोजन को भारत की आध्यात्मिक विरासत का मजबूत प्लेटफार्म माना, जो राष्ट्रीय एकता और वैश्विक मंच पर भारत की पहचान को और मजबूती से प्रस्तुत करेगा। मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश की सरकार की ओर से किए गए कदमों का भी उल्लेख किया, जिससे राज्य में सुरक्षा और विकास की दिशा में अहम बदलाव आए हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भारत की आध्यात्मिक परंपरा को समझने के लिए हमें श्रीराम, श्री कृष्ण और भगवान शिव की परंपरा को समझना होगा, और केवल वही व्यक्ति भारत को जान पाएगा जो इस परंपरा के प्रति श्रद्धावान होगा।
इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश वक्फ अधिनियम में संशोधन के माध्यम से वक्फ संपत्तियों से अवैध कब्जे की प्रक्रिया को कड़ा किया, और गरीबों के लिए जमीन आवंटित करने की बात की।उन्होंने अंत में यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश के हित में जो कार्य होंगे, प्रदेश की जनता उसी को आगे बढ़ाएगी, और लोकतंत्र में जनता का विश्वास ही सर्वोपरि होता है।
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