
रिपोर्ट: पवन कुमार रस्तोगी।
प्रयागराज। संगम नगरी में गंगा की धरा पर 13 जनवरी से 26 फरवरी तक विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ होने जा रहा है।महाकुंभ की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। महाकुंभ में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।योगी सरकार ने सुरक्षा और प्रबंधन को प्राथमिकता देते हुए व्यापक इंतजाम किए है।
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने यातायात प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था को अहम प्राथमिकता दी है।प्रमुख मार्गों से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान लगाते हुए सात प्रमुख रास्तों को चिन्हित किया गया है।आंकड़ों के मुताबिक जौनपुर और रीवा-बांदा मार्ग से सबसे ज्यादा श्रध्दालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।इसके बाद वाराणसी,कानपुर,मिर्जापुर,लखनऊ और प्रतापगढ़ से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे।
सुरक्षा को लेकर मंदिरों और गंगा घाटों पर व्यापक इंतजाम किए गए हैं।हर प्रवेश बिंदु पर चेकपोस्ट लगाए गए हैं,जहां वाहनों और श्रद्धालुओं की गहन जांच की जा रही है।इन सबके बीच प्रशासन ने आसपास के जिले कौशांबी,फतेहपुर और मिर्जापुर में सुरक्षा बढ़ाने के लिए विशेष कदम उठाए हैं।
इन जिलों में सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा किया गया है।यहां की सीमाओं पर बैरिकेडिंग की गई है और हर एक वाहन और व्यक्ति की सघन जांच की जा रही है।अतिरिक्त पुलिस बल को तैनात किया गया है और संदिग्ध गतिविधियों की पहचान करने के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है। इन जिलों में ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों की मदद से लगातार निगरानी की जा रही है, ताकि किसी भी अवांछनीय व्यक्ति या वस्तु को मेला क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले ही रोका जा सके।रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप और अन्य प्रमुख यात्रा मार्गों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। श्रध्दालुओं की थर्मल स्कैनिंग और सामान की जांच पहले से कहीं ज्यादा सख्त की गई है।
यातायात की दिशा को व्यवस्थित करने के लिए खासतौर पर हर जिले में रीयल-टाइम डायवर्जन और एकतरफा मार्ग व्यवस्था लागू की गई है। महाकुंभ में सुरक्षा को लेकर किए गए इन व्यापक इंतजामों से यह सुनिश्चित किया गया है कि आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक अनुभव हो, बल्कि यह पूरी तरह से सुरक्षित और सुव्यवस्थित भी हो।