

आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी
बस्ती के छंदकार शोध प्रबंध के चतुर्थ चरण में नामोल्लेखित कवि :-
इस शीर्षक के अन्तर्गत ऐसे छन्दकारो और कवियों को प्रस्तुत किया जा रहा है जो उस समय अपनी काव्यसेवा के द्वारा जनपद को अत्यन्त साहित्यिक सहयोग देने में लगे हुए हैं। इस सूची में तत्कालीन वरिष्ठ छंदकार भी हो सकते हैं और वे भी हो सकते हैं जो कम प्रचार प्रसार में रहे हों। चूंकि ये सूची लगभग 41 साल बाद प्रकाश में आ पा रही है इसलिए अनेक सुधी छंदकारों का वर्तमान परिवेश के मुताबिक सम्यक मूल्यांकन नहीं कहा जा सकता है। चूंकि मैं स्मृति शेष डा. मुनि लाल उपाध्याय ‘सरस’ के पुराने कार्य को प्रकाश में लाने की कोशिश कर रहा हूं इसलिए सभी सुधी साहित्यकारों और उनके उत्तरजीवियों से क्षमा याचना के साथ ही ये पुरातन विवरण देने का प्रयास कर रहा हूं। कोई साहित्य प्रेमी अध्येता इस सूची को और अद्यतन बना कर संशोधित और परिमार्जित भी कर सकता है। यदि समय परिस्थितियां और स्वास्थ्य अनुकूल रहा तो मैं भी इस सूची को परिपूर्ण करने का प्रयास करूंगा।
1.धर्मेन्द्र त्रिपाठी (जन्म 1981 विo)
यह ग्राम गजाधरपुर के निवासी हैं। यह बहुत अच्छे छन्दकार और प्रत्तिभाशाली व्यक्ति है। यह मुण्डेरवा इण्टर कालेज के भूतपूर्व प्राचार्य भी रहे हैं। इन्होंने सवैया और धनाक्षरी में बहुत काम किया है। इन्होंने बस्ती शहर के महरीखांवा मोहल्ले में अपना अंतिम समय गुजारा था
2. पं० सुरेशधर “भ्रमर” (जन्म स० 1978 वि०)
भ्रमर जी जनपद के बड़े ही अच्छे कवि और छन्दकार है। ये सर्वत्र सम्मादृत होते रहे है। ये कविताएँ खड़ी बोली में अधिक लिखे हैं। अपने समय यह वकालत भी करते रहे हैं। नवोदित कवियों के लिए अपना स्नेह देते हुए समादर के पात्र हैं। अच्छी कविताओं के बड़े पक्षधर है।
3. पं० हरिशंकर मिश्र (जन्म सन 1928 ई०)
इनका मूल निवास ग्राम रिउना है । ये जनपद के एक वर्चस्वी हिन्दी सेवी है। इनकी कविताओं में राष्ट्रीयता का स्वर अधिक तथा प्राकृतिक सौन्दर्य की प्रधानता है। अपने कोकिल कंठ से ये काव्य मंचों पर सदैव समाद्रित होते रहे हैं। ये इण्टर कालेज में संस्कृत के प्रवक्ता रहे है।
4.हरिनाथ उपाध्याय “अटल”
जनपद के बहुचर्चित छन्दकार है। इनके छन्दो और गीतों में श्रृंगार की प्रधानता है। राष्ट्रीयता के पक्षधर हैं। ये सक्सेरिया इण्टर कालेज में अध्यापक रहे है।
5 . रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी
यह मधुर कठ के कवि और छन्दकार हैं। यह सकोरिया इण्टर कालेज के अवकाश प्राप्त अध्यापक है। इन्होंने ब्रजभाषा में घनाक्षरी और सवैया के दर्जनों छन्द लिखा है।
6. लम्बोदर पाण्डेय “अरुण” ( जन्म सन 1929 ई )
यह जनपद के अच्छे छन्दकार हैं। इन्हें कवि सम्मेलनों में अच्छी ख्याति मिलती रही है।
7. जगई भइया (जन्म 1929 ई )
यह दोहा, घनाक्षरी, सवेया छन्दों के मजे मंजाये कवि होने के साथ लोकगीतों के अच्छे गायक है।
8. परमानन्द आनन्द (जन्म सन 1930 ई)
ये संस्कृत के अच्छे विद्वान होने के साथ ब्रज भाषा और खड़ी बोली के अच्छे कवि है। सभी छन्दों में प्राकृतिक सौन्दर्य अधिक है।
9. पंडित चन्द्रशेखर पाण्डेय “शास्त्री”
पाण्डेय जी गीतों के साथ सवैया और घनाक्षरी के बहुत अच्छे छन्दकार हैं। इनके गीतों में राष्ट्रीयता के साथ-साथ श्रृंगार रस की प्रधानता है। छन्दों में सस्कृत का पुट दिखता है।
10. रामरक्षा भारती “विकल”
यह संत कबीर नगर के हरिहरपुर इण्टर कालेज में भाषाध्यापक रहे है। इन्होंने बड़ा सुन्दर दोहा और सवैया छन्द लिखा है। इनकी कुछ पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं। यह तामेश्वरनाथ मन्दिर के जीर्णोद्वार में सदैव लगे रहते हैं तथा यहाँ प्रति वर्ष कवि सम्मेलन कराते रहे हैं।
11. सरस्वती प्रसाद शुक्ल “चंचल”
चंचल जी जनता इण्टर कालेज, लालगंज, मे सहायक अध्यापक रहे है। इनके भोजपुरी के छन्द बड़े ही मधुर और श्रृंगारपूर्ण होते हैं। मंचों पर सवैया और घनाक्षरी छन्द यह बड़े मजेदारी के साथ पढ़ते हैं। इनके दर्जनो छन्द इनकी डायरियों में हैं, जिनके प्रकाशन के लिए प्रयासरत रहे है।
12. रामनरेश सिंह “मंजुल”
यह नेशनल इण्टर कालेज हर्रैया में प्रधानाचार्य पद पर रहे है। यह गीतो के साथ खड़ी बोली और व्रजभाषा में सवैया और धनाक्षरी छन्दों को लिखने और पढ़ने में बड़ी पटुता रखते हैं। रेडियो स्टेशन से इनकी कविताएँ प्राय: प्रसारित होती रहीं है।
13. रामदास पाण्डेय “गम्भीर”
यह देशराज नारंग इण्टर कालेज गोविन्द नगर वाल्टरगंज में प्रवक्ता रहे है। बाद में इनकी नियुक्ति बाहर के किसी विद्यालय के प्रधानाचार्य के पद पर हुआ था। यह अपने दार्शनिक कविताओं के लिए बहुचर्चित हैं। इनके द्वारा लिखा गया “झंपा शतक” बड़ी उत्कृष्ट रचना है। इनका “प्रसून” नामक काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुका है। इनकी कविताओं में दानवता के कारण दुरूहता है। “अनेक किन्तु एक” नामक पत्रिका का सम्पादन भी किया है।
14. प० केशरीधर द्विवेदी
यह काव्य मंच के मंजे मंजाये कवि एवं गीतकार हैं। तमाम कवि सम्मेलनों का आयोजन करकै बस्ती काव्यधारा के विकास में लगे हुए हैं। ये पेशे से वकील है और द्विजेश परिषद के मंत्री भी है।
15.उमाकान्त मिश्र “कुन्दन”
यह सुप्रसिद्ध छन्दकार नन्दन जी के पुत्र हैं। दोहा, घनाक्षरी, सवैया के साथ-साथ भोजपुरी के लोकगीत सुन्दर लिखते हैं।
16. श्याम लाल यादव
यह जनपद के बड़े ही वर्चस्वी गीतकार हैं। इनके गीतों में ग्राम्य जीवन को चित्रण अधिक पाया जाता है। यह कम्युनिस्ट विचारधारा के कवि है। पेशे से ये वकील थे।
17.ठाकुर जगदम्बिका प्रसाद सिंह उर्फ लल्लू बाबू
यह रईसी घराना के गीतकार रहे हैं। इनके गीतों में शृंगार की प्रधानता तथा संवेदना की गहराई है
18. रामेश्वर वर्मा
यह अच्छे छन्दकार है। ये डाक -तार विभाग में कार्यरत रहे हैं। यह अधिकतर नयी कविता लिखने के पक्षधर है।
19 डा. माहेश्वर तिवारी शलभ (जन्म 1938 ई )
ये राष्ट्रीय स्तर के गीतकार के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके हैं। इनके बारे में बहुत लोग जानते हैं।
20. डॉ० श्याम तिवारी
काशी विद्यापीठ, वाराणसी में हिन्दी के उपाचार्य पद पर कार्यरत है। डॉ० तिवारी हिन्दी के उच्च कोटि के छन्दकार व्यंग्यकार के रूप मे बहुश्रुत हैं।
21. दिवंगत सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
बस्ती की माटी से ही उगकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त करने में सफल हुए।
22. माधव सिंह गौतम
यह जनपद के अच्छे छन्दकार और कवि हैं। इनके छन्दो मे श्रृंगार की प्रधानता रहती है।
23. श्री (डा.)राधेश्याम द्विवेदी “नवीन
नवोदित गीतकारों में श्री राधेयाम द्विवेदी “नवीन” अच्छी ख्याति प्राप्त कर चुके है। उनके छन्दों में राष्ट्रीयता के स्वर के साथ-साथ युगबोध की भाव धारा दिखाई पड़ती है।
24. भद्रलेन सिंह “भ्रान्त”
भद्रसेन सिंह “भ्रान्त” जनपद के अच्छे कवियों में से हैं। उनके गीतो और छन्दों को रेडियो पर अच्छा स्थान मिलता है।
25. गोपाल जी शुक्ल
ये हास्य और व्यंग के अच्छे छन्दकार हैं। इनके छन्दों में लोक जीवन का व्यंग्यात्मक संस्पर्श दिखायी पढ़ता है। कवि सम्मेलनों में इन्हें अच्छा स्थान मिलता है।
26. कृष्णदत्त तिवारी “प्रेम”
गीतों के सर्जनाकारों में प्रेम जी का अच्छा स्थान है। ये अपने सुरीले कण्ठों से श्रोताओं को मंत्रमुध कर लेते हैं।
27. शिवपूजन राय
श्री राय राजकीय इण्टर काकेर बस्ती में स्काउट मास्टर रहे हैं। ये अच्छे गीतों के साथ-साथ छन्द भी लिखते हैं। राष्ट्रीयता प्रधान इनकी कवितायें बड़ी ही गेय होती हैं।
28. सतीश श्रीवास्तव
नयी विधा के अच्छे छन्दकार है। ये शायरे आजम “नाशाद” जी के पुत्र हैं।
29. पं० विद्याधर द्विवेदी प्रधानाचार्य
30. श्री रामशरण जायसवाल
रामशरण जायसवाल जाने गीतो के लिए अच्छी ख्याति पा चुके हैं।
31.श्री चन्द्र पटवा
32.नरेन्द्र कुपार पाण्डेय
33. डॉ० सत्यदेव द्विवेदी सत्य”
34.रामदेव मिश्र “पिंगल”
35.सत्यप्रकाश शास्त्री
36.अतुल द्विवेदी
37.कैलाश नाथ ओझा
क्रम संख्या 31 से 37 तक के नवोदित छन्दकार जनपद की काव्यधारा के विकास में अपना अच्छा योगदान दे रहे हैं।
चतुर्थ अथवा आधुनिक चरण के छन्दकारों का सामान्य सर्वेक्षण करने से जो सामग्री यहा प्रस्तुत की गई है, उसके आधार पर यदि देखा जाय तो इस चरण में छन्दकारो की सख्या बहुत अधिक हो गई है। इसका कारण यह हो सकता है कि पिछले 25 वर्षों से बस्ती मण्डल के छन्दकारों को बस्ती की धरती पर राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलन देखने को मिलते रहे हैं। इस चतुर्थ चरण में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के छन्दकार और गीतकारों ने मण्डल के गौरव को आगे बढ़ाया है। गीतों के साथ नवगीत और नवगीतों के साथ आधुनिक तथा प्राचीन छन्दो की वह धारा जो पीताम्बर और लछिराम के समय से धरती पर प्रवाहित हुई है, आज भी अपने अजस्र प्रवाह से बस्ती की काव्यधारा को अभिसिंचित कर रही है।
लेखक परिचय:-
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।)