
प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में दलित युवती की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद हंगामा खड़ा हो गया। पीड़ित परिवार व लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। हालात बेकाबू होते ही पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया, जिसके जवाब में ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया, जिससे सीओ रानीगंज समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।

घटना दुर्गागंज बाजार की एक युवती की है, जो पास के मां मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में काम करती थी। गुरुवार रात 11 बजे उसकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को फोन कर बुलाया, लेकिन जब मां हीरावती वहां पहुंचीं, तो कुछ लोगों ने उन्हें अंदर जाने से रोका। कुछ देर बाद शव को एंबुलेंस से गांव भेजने का प्रयास किया गया, लेकिन ग्रामीणों ने उसे रोक लिया।

परिजनों ने जब शव देखा, तो शरीर पर चोटों के निशान थे और कपड़े फटे हुए थे, जिससे संदेह और बढ़ गया। इसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन, डॉक्टर अमित पांडेय, कर्मचारी सुनील कुमार, विद्यासागर, शहबाज और दाई गनोर्मा देवी पर साजिश के तहत गैंगरेप और हत्या का आरोप लगाया।
गुस्साए ग्रामीणों और परिजनों ने शव को सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। जब पुलिस शव को कब्जे में लेने पहुंची, तो लोगों ने विरोध किया। स्थिति बिगड़ने पर कई थानों की फोर्स बुलाई गई। पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे ग्रामीण भड़क गए और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया।
इस दौरान सीओ रानीगंज विनय प्रभाकर साहनी समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। इलाके में तनाव को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। 12 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस शव को कब्जे में नहीं ले पाई थी। परिजन और ग्रामीण आरोपियों की गिरफ्तारी और न्याय की मांग पर अड़े रहे।
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार मौके पर पहुंचे और परिजनों से बातचीत कर निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। पुलिस ने जांच के लिए विशेष टीमें गठित कर आरोपियों पर जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है। फिलहाल गांव में भारी पुलिस बल तैनात है और स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है।