
बस्ती। अयोध्या के चारों तरफ 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के निर्माण की हलचल अब दिखने लगी है। पहले फेज में सड़क निर्माण के लिए जिले के तीन ब्लॉक क्षेत्रों के 56 गांवों में अधिग्रहीत जमीन को चिह्नित करने का कार्य शुरू हो गया है।
जिले में प्रस्तावित कुल 40.14 किमी लंबाई में सड़क बनाने के लिए मशीनों से खोदाई कराकर अधिग्रहीत जमीन की मार्किंग कराई जा रही है। इसके बाद निर्माण प्रक्रिया और तेज हो जाएगी।
भव्य अयोध्या-नव्य अयोध्या की कड़ी में 84 कोसी परिक्रमा मार्ग भी शामिल है। इसकी शुरुआत बस्ती जिले के मखौड़ा धाम से हो रही है। जिले में यह सड़क 40.14 किमी लंबाई में बननी है। इसके निर्माण की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी के राष्ट्रीय राजमार्ग खंड को सौंपी गई है। जिले में 56 गांवों में से 50 गांवों के भूमि की अधिग्रहण प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई है। सड़क के लिए प्रस्तावित 180 हेक्टेयर में से 80 प्रतिशत जमीनों का अधिग्रहण भी हो चुका है। 6500 काश्तकारों में से अधिकांश लोगों में 200 करोड़ से अधिक मुआवजा भी बंट चुका है। निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी एनएच ने सड़क के लिए अधिग्रहित जमीनों की मार्किंग का कार्य शुरू कर दिया है। इसके लिए पोकलैंड मशीनों से खोदाई कराई जा रही है।
यहां सड़क निर्माण में 1,032 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। इसके टेंडर की प्रक्रिया पहले ही पूरी की जा चुकी है। प्रथम फेज की यह सड़क मखौड़ा धाम व छावनी से महूघाट, रामबाग व सांड़पुर से सरयू नदी पार कर आंबेडकरनगर के शृंगी ऋषि के आश्रम तक बनाई जाएगी। 45 मीटर चौड़ाई में अधिग्रहित भूमि पर मार्किंग के बाद निर्माण प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
ऐसे बनेगी सड़क : परिक्रमा मार्ग की सड़क टू-लेन बनाई जाएगी। जिले में प्रथम फेज की 40.14 किमी तक सड़क बनाने के लिए कुल 1,032 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें 10 मीटर चौड़ी टू-लेन सड़क का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा दोनों तरफ एक-एक मीटर चौड़ी पटरी बनाई जाएगी। इस धन में जमीन का मुआवजा, बिजली के खंभे हटाने, वन विभाग के पौधरोपण, पेयजल आपूर्ति की पाइप लाइन हटाने व अन्य खर्चे भी शामिल हैं।
पौराणिक स्थलों पर बढ़ेगी चहल-पहल : परिक्रमा मार्ग पर स्थित मखौड़ा धाम, रामरेखा मंदिर छावनी, हनुमान बाग और श्रृंगी ऋषि आश्रम में श्रद्धालुओं की चहल-पहल बढ़ जाएगी। अभी दो दशक पहले से तक यह स्थल दुर्गम क्षेत्र में शामिल रहे। इधर कुछ हद तक रास्ते आदि बनने से लोगों का पहुंचना आसान हुआ है। लेकिन, अब पृथक परिक्रमा मार्ग बनने से इन पौराणिक स्थलों के विकास की उम्मीदें बढ़ जाएंगी।