
•कार्यशाला में अधिकारियों ने शिक्षकों और छात्रों को डिजिटल वारियर्स बनने के लिए किया प्रेरित।
बस्ती। बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा फेक न्यूज और साइबर अपराधों के खिलाफ चलाए जा रहे साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान के तहत साइबर क्राइम पुलिस थाना कप्तानगंज, जनपद बस्ती द्वारा एक साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में पुलिस अधिकारियों ने शिक्षकों और छात्रों को डिजिटल वारियर्स बनने के लिए प्रेरित किया और साइबर अपराध से बचने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी दी।
कार्यशाला में मौजूद रहे पुलिस अधिकारी और शिक्षक-छात्र



कार्यशाला में प्रभारी निरीक्षक विकास यादव, प्रभारी निरीक्षक थाना कप्तानगंज उपेंद्र मिश्रा, और अन्य पुलिसकर्मी कांस्टेबल जितेंद्र यादव, कांस्टेबल रूपेश, कांस्टेबल काशीनाथ उपस्थित रहे। इसके अलावा, पं. चतुर्भुज तिवारी विमला देवी इंटर कॉलेज के शिक्षक-शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं भी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
डिजिटल वारियर्स बनने के लिए किया प्रेरित
कार्यशाला में पुलिस अधिकारियों ने बताया कि डिजिटल वारियर्स बनने का मुख्य उद्देश्य फेक न्यूज को रोकना, अफवाहों का खंडन करना, सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं को वायरल होने से रोकना और साइबर अपराधों के प्रति सतर्क रहना है। इसके लिए उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार युवाओं को डिजिटल वारियर्स के रूप में तैयार किया जा रहा है।
साइबर क्राइम से बचाव के लिए दी गई अहम जानकारियां:
पुलिस ने कार्यशाला में विभिन्न साइबर अपराधों से सतर्क रहने और उनसे बचाव के तरीके बताए, जिनमें शामिल हैं:
- फर्जी क्रेडिट मैसेज फ्रॉड – बैंक से नकली मैसेज भेजकर ठगी।
- फेसबुक/सोशल मीडिया पर अजनबियों से दोस्ती – फेक अकाउंट बनाकर ठगी करना।
- फर्जी लोन ऐप – लोन देने के बहाने ठगी।
- वर्क फ्रॉम होम फ्रॉड – ऑनलाइन नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी।
- गूगल पर फर्जी हेल्पलाइन नंबर – असली नंबर के बजाय जालसाजों द्वारा दिए गए नंबर।
- फर्जी वेबसाइट्स और ऐप्स – गूगल सर्च के जरिए नकली वेबसाइट पर ले जाकर ठगी।
- न्यूड वीडियो कॉल फ्रॉड – अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करना।
- ऑनलाइन खरीददारी और बिक्री में धोखाधड़ी – पैसे लेकर सामान न भेजना या नकली सामान भेजना।
- स्क्रीन शेयरिंग एप्स से फ्रॉड – मोबाइल या लैपटॉप का एक्सेस लेकर बैंक अकाउंट खाली करना।
- क्रेडिट कार्ड और एटीएम फ्रॉड – कार्ड स्किमिंग डिवाइस से डाटा चुराना।
- वाई-फाई और चार्जिंग केबल से डाटा चोरी – सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों और ओपन वाई-फाई से डिवाइस हैक करना।
- डेटिंग ऐप और जीवन साथी ऐप फ्रॉड – शादी और रिलेशनशिप के नाम पर ठगी।
- गांवों और शहरों में घूमकर धोखाधड़ी – खुद को सरकारी अधिकारी बताकर ठगी।
- फेक नोटिस और दस्तावेज के जरिए ठगी।
- डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड – साइबर अपराधी खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को फंसाते हैं।
साइबर हेल्पलाइन नंबर और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म की जानकारी दी गई
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि किसी भी साइबर अपराध का शिकार होने पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in वेबसाइट पर शिकायत दर्ज करें। साथ ही, स्थानीय थाना पुलिस का सीयूजी नंबर 7839876672 भी साझा किया गया, जिससे पीड़ित तुरंत सहायता प्राप्त कर सकें।
बता दें कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य साइबर अपराधों के नए तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाना और लोगों को सतर्क करना था। पुलिस ने अपील की कि कोई भी सूचना बिना जांचे-परखे सोशल मीडिया पर शेयर न करें और यदि किसी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी मिले तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। कार्यशाला में मौजूद शिक्षकों और छात्रों ने इसे बेहद उपयोगी बताया और पुलिस के इस प्रयास की सराहना की।