
बस्ती। प्रोफेसर, टीचर एण्ड नॉन टीचिंग एम्पलाइज विंग ‘प्रोटान’ द्वारा जिलाध्यक्ष कैलाशनाथ के संयोजन में कटरा स्थित एक मैरेज हाल में रविवार को सावित्री बाई फूले और फातिमा शेख के योगदान पर चर्चा की गई। दोनों महिलाओं के सामाजिक योगदान पर वक्ताओं ने विस्तार से प्रकाश डाला। मांग किया गया कि देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फूले के जन्म दिन को शिक्षिका दिवस के रूप में मनाया जाय।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता उदयभान ने कहा कि हर साल 3 जनवरी को सावित्रीबाई फुले जयंती मनाई जाती है. यह दिन भारत की पहली महिला शिक्षिका और सामाजिक क्रांति की अग्रदूत सावित्रीबाई फुले को समर्पित है. उनका जीवन महिलाओं और वंचित वर्गों की शिक्षा और समानता के लिए एक मिशाल है।
प्रोटान के प्रदेश प्रभारी आर.एल. गौतम का कहा कि संगठन द्वारा समूचे प्रदेश में सावित्री बाई फूले और फातिमा शेख की जयन्ती मनायी जा रही है। कहा कि मुस्लिम समाज की फातिमा शेख और उस्मान शेख ने विद्यालय के लिए स्थान प्रदान किया. फातिमा शेख को भारत की पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका माना जाता है. सावित्रीबाई को समाज का विरोध सहना पड़ा। लोग उन पर कीचड़ और पत्थर फेंकते थे, लेकिन उन्होंने हर बाधा को सहन किया।
कार्यक्रम को राम अनुज भाष्कर, आत्मा प्रसाद, दिनेश चौधरी, आर.के. गौतम, प्रदीप चौधरी, राजेन्द्र कन्नौजिया आदि ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सावित्रीबाई फुले ने सामाजिक सुधारों में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बाल विवाह, सती प्रथा और जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाई।
अध्यक्षता करते हुए रामधारी सिंह दिनकर ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन दिया और पीड़ित महिलाओं के लिए शरणगृह स्थापित किए. अस्पृश्यता के विरोध में अपने घर का कुआँ सभी के लिए खोला और समानता का संदेश दिया। उनका योगदान सदैव याद किया जायेगा।
जयन्ती अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से जानकी प्रसाद, सत्येन्द्र सहाय, रामजी वर्मा, विनय कुमार वर्मा, विजय कुमार भारती, अशोक कुमार कन्नौजिया, सत्य प्रकाश राव, ठाकुर प्रेम नन्दवंशी, बुद्धेश राना, आर.के. आरतियन, राम सुमेर यादव के साथ ही अनेक लोग उपस्थित रहे।