
श्रीमद भगवद फाउंडेशन एवं नारायण बाल विद्या मंदिर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगीतमय श्रीमद् देवी भागवत पुराण एवं रुद्र चंडी महायज्ञ में कथा व्यास डॉ. कौशलेंद्र महाराज ने प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखिए। यदि आप ईश्वर के प्रति समर्पित रहेंगे, तो वह आपके किसी भी कार्य को रुकने नहीं देंगे।
उन्होंने कहा कि हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि कभी हमें ईश्वर पर विश्वास होता है और कभी नहीं। लेकिन जीवन में जो भी घटित होता है, चाहे अच्छा हो या बुरा, वह भगवान की इच्छा से ही होता है। भगवान के भक्त कभी किसी से शिकायत नहीं करते। वे अपने कर्म को ईमानदारी से करते रहते हैं और जो भी होता है, उसे ठाकुर जी की मर्जी समझकर स्वीकार करते हैं।
भगवान पर संदेह न करें
महाराज ने कहा कि भगवान से कभी यह प्रश्न नहीं करना चाहिए कि आपके साथ ऐसा क्यों हुआ। जब आप यह प्रश्न करते हैं, तो उसी क्षण भगवान पर संदेह करने लगते हैं। जो व्यक्ति ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखता है, उसे ईश्वर कभी अकेला नहीं छोड़ते। जिस दिन आप ठाकुर जी के हो जाएंगे, उस दिन पूरा संसार आपका हो जाएगा।
विनम्रता आवश्यक है
उन्होंने कहा कि गुरु, ब्राह्मण, संत और भगवान हृदय से प्रसन्न होते हैं, न कि आपकी व्यवस्था या धन से। यदि आप केवल नोट या पद के बल पर आशीर्वाद मांगेंगे, तो वह नहीं मिलेगा। जीवन में विनम्रता अत्यंत आवश्यक है।
परीक्षित प्रसंग का वर्णन
कथा में परीक्षित प्रसंग सुनाते हुए महाराज ने बताया कि महाभारत युद्ध में गुरु द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद उनके पुत्र अश्वत्थामा ने पांडवों को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया था। इससे अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी उत्तरा के गर्भ में स्थित परीक्षित प्रभावित हुए, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने योगबल से उन्हें जीवित कर दिया। बाद में राजा परीक्षित की मृत्यु श्रृंगी ऋषि के श्राप से तक्षक नाग के डंसने से हुई।
उनकी मृत्यु के बाद परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने नारद मुनि की सलाह पर अम्बयाग नामक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें देवी भागवत का पाठ करवाया गया था।
विशेष उपस्थिति
इस अवसर पर यज्ञाचार्य पंडित अतुल शास्त्री, बालकदास, रामसूरत, राजू, सुनील, अनिल, अंजनी, विवेक, विष्णु, देवी प्रसाद समेत कई ग्रामवासी उपस्थित रहे।