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•परमात्मा को बस में करने का सर्वोत्तम साधन प्रेम है – पं. राजेश पांडेय
बस्ती। हरैया के समौड़ी गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन पं. राजेश पांडेय सिंटू महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाललीलाओं का रोचक और भावपूर्ण वर्णन किया।
प्रभु प्रेम में ही भक्ति का सार
कथा व्यास ने कहा कि ईश्वर के लिए जो जीता है, वही सच्चा संन्यासी है। गोपियाँ भी ईश्वर के लिए ही जीती थीं, इसलिए उन्हें प्रेम संन्यासिनी कहा गया। प्रभु प्रेम में हृदय का द्रवित होना ही भक्ति है। कृष्ण कथा में प्राणायाम की आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि यह कथा स्वयं ही संसार के मोह को भुला देती है।
उन्होंने कहा कि मिठास वस्तु में नहीं, प्रेम में होती है। गोपियों के माखन में स्वाद नहीं था, बल्कि उनके प्रेम में प्रभु श्रीकृष्ण को रस मिलता था। माता यशोदा के हृदय में कन्हैया जाग्रत थे, लेकिन हमारे हृदय का कन्हैया अभी सोया हुआ है।
कन्हैया की बाललीलाओं का हुआ भावपूर्ण वर्णन
कथा व्यास ने कन्हैया की बाललीलाओं, गोपियों के साथ उनके अनुराग और माखन चोरी के प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जब तक परमात्मा को प्रेम से नहीं बांधा जाता, तब तक संसार का बंधन बना रहता है।
उन्होंने आगे कहा, “ईश्वर को फल दोगे तो वे तुम्हें रत्न देंगे। पाप के जाल से मुक्त होना आसान नहीं है, जब तक पुण्य का बल नहीं बढ़ता, तब तक पाप की आदत नहीं छूटती।”
गाय सेवा और बांसुरी का महत्व
कथा के दौरान उन्होंने गाय सेवा का महत्व बताते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कभी जूते नहीं पहने और गायों की जो सेवा उन्होंने की, वैसी सेवा कोई अन्य नहीं कर सकता। गाय में सभी देवताओं का वास होता है और गाय की सेवा से अकाल मृत्यु भी टल सकती है।
बांसुरी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि बांसुरी अपने स्वामी की इच्छा के अनुसार ही बोलती है। ठीक वैसे ही हमें भी भगवान की इच्छा के अनुसार ही बोलना और कार्य करना चाहिए।
भक्तों ने किया कथा श्रवण और पूजन
इस अवसर पर भाजपा युवा मोर्चा बस्ती के पूर्व जिलाध्यक्ष सत्येंद्र शुक्ल जिप्पी ने पोथी पूजन व आरती का कार्य किया।
इस दौरान मुख्य यजमान राम सुमति मिश्र, सीता देवी, जय प्रकाश शुक्ल, प्रमोद शुक्ल बब्बू, हिमांशु त्रिपाठी, देवेंद्र नाथ मिश्र बाबू जी, धीरेन्द्र नाथ मिश्र, श्रीनाथ मिश्र, सुरेंद्र नाथ मिश्र, नंद कुमार मिश्र, माधव दास ओझा, इंद्रा ओझा, मंटू पांडेय, चंद्र भाल शुक्ल, अंबिका प्रसाद ओझा, रामफूल मिश्र, उमेश मिश्र, चंद्र प्रकाश मिश्र, पशुपतिनाथ शुक्ल, विश्व प्रकाश मिश्र, राम जियावन शुक्ल, राधा मोहन मिश्र, लालजी मिश्र, अशोक कुमार मिश्र, महेंद्र कुमार मिश्र, पवन शुक्ल, गणेश शुक्ल, सुभाष मिश्र, दिवाकर पांडेय, रामप्रसाद मिश्र, विजय मिश्र, चंद्रमणि मिश्र, प्रेम शंकर ओझा, जगदंबा ओझा, ओंकार यादव, राधिका चौधरी, भरत, संतोष मिश्र, रवीश कुमार मिश्र, वेद प्रकाश मिश्र, उत्तम मिश्र, सतीश शुक्ल लायक, हरीश, शिवम, गोपाल, रत्नेश, प्रभात, राम, अत्रय, बाबूलाल, लल्लू सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर श्रीकृष्ण की बाललीलाओं का रसपान किया।