लखनऊ। पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। गुरुवार शाम मनमोहन सिंह की तबीयत बिगड़ने पर एम्स में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। भारत के 14वें प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने एक दशक से अधिक समय तक अभूतपूर्व विकास और वृद्धि की दिशा में नेतृत्व प्रदान किया। मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान भारत ने ऐतिहासिक वृद्धि दर देखी,जो औसतन 7.7 फीसदी रही और इसके परिणामस्वरूप भारत लगभग दो ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में सफल रहा।
डॉक्टर मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ने आर्थिक विकास में उल्लेखनीय वृद्धि की। 2004 से 2014 तक भारत दसवें स्थान से उठकर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया,जिससे लाखों लोगों का जीवन स्तर सुधरा और गरीबी में कमी आई।
डॉक्टर मनमोहन सिंह के दृष्टिकोण में केवल उच्च विकास नहीं,बल्कि समावेशी विकास और उस विश्वास की भी अहमियत थी जो सभी को ऊपर उठाने वाली लहरें उत्पन्न कर सके।यह विश्वास उनके द्वारा पारित किए गए विधेयकों में दिखाई देता है,जिनसे नागरिकों को भोजन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार,काम का अधिकार और सूचना का अधिकार सुनिश्चित हुआ। मनमोहन सिंह की अधिकार-आधारित क्रांति ने भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत की, जो समाज के प्रत्येक वर्ग को समान अवसर प्रदान करने का संकल्प था।
डॉक्टर मनमोहन सिंह का बजट भाषण तब चर्चा में आया जब उन्होंने 1991 में वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अभूतपूर्व विकास की दिशा में पहली बार कदम बढ़ाया। 1991-1996 के दौरान मनमोहन सिंह द्वारा नीतियों की नींव रखी गई, जो बाद में 2004-2014 तक प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में समृद्धि और विकास की कहानी बनी। जुलाई 1991 में मनमोहन सिंह ने अपने बजट भाषण के अंत में कहा था कि दुनिया की कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है,मैं इस सम्मानित सदन को सुझाव देता हूं कि भारत का दुनिया की प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उदय एक ऐसा विचार है, जिसका समय अब आ चुका है।
डॉक्टर मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब के एक छोटे से गांव में हुआ में हुआ था। मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर के तीन बेटियां हैं। मनमोहन सिंह ने 1952 और 1954 में क्रमशः पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और परास्नातक की डिग्री प्राप्त की।इसके बाद 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपना आर्थिक ट्रिपोस पूरा किया और 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी.फिल. की डिग्री हासिल की।
डॉक्टर मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अध्यापन कार्य किया। 1971 में भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए और 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर पदोन्नत हो गए। यूएनसीटीएडी सचिवालय में एक छोटे कार्यकाल के बाद मनमोहन सिंह को 1987-1990 तक जिनेवा में दक्षिण आयोग का महासचिव नियुक्त किया गया।इसके अलावा मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के पदों पर भी कार्य किया।
डॉक्टर मनमोहन सिंह 1991 से राज्यसभा के सदस्य थे। मनमोहन सिंह 1998-2004 तक विपक्ष के नेता रहे। 2004 और 2009 में कांग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद मनमोहन सिंह 22 मई 2004 और फिर 22 मई 2009 को प्रधानमंत्री का पद संभाला।
विकास के प्रति डॉलर मनमोहन सिंह की प्रतिबद्धता और उनकी अनेक उपलब्धियों को उन अनेक सम्मानों के माध्यम से मान्यता मिली है जो उन्हें प्रदान किए गए हैं। इनमें 1987 में पद्म विभूषण, 1993 में वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी पुरस्कार, 1993 और 1994 में वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी पुरस्कार और 1995 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार शामिल हैं।
डॉक्टर मनमोहन सिंह को न केवल उनके विजन के लिए जाना जाता है, जिसने भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाया, बल्कि उनकी कड़ी मेहनत और उनके विनम्र, मृदुभाषी व्यवहार के लिए भी जाना जाता है।मनमोहन सिंह एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें न केवल उन छलांगों और सीमाओं के लिए याद किया जाएगा, जिनसे उन्होंने भारत को आगे बढ़ाया, बल्कि एक विचारशील और ईमानदार व्यक्ति के रूप में भी याद किया जाएगा।