
लखनऊ। मनकामेश्वर शनि हनुमान मंदिर, सुरेन्द्र नगर, कमता, लखनऊ में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा के सातवें दिन कथावाचक डॉ. कौशलेंद्र महाराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष जैसे प्रेरणादायक प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान की कथा सुनने से जीवन में सकारात्मकता, प्रेरणा और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
कथा के दौरान डॉ. कौशलेंद्र महाराज ने कहा कि सुदामा जी जितेंद्रिय और भगवान श्रीकृष्ण के परम मित्र थे। वे भिक्षा मांगकर परिवार का पालन करते थे, फिर भी सदैव भगवान के ध्यान में लीन रहते। उनकी पत्नी सुशीला ने उनसे आग्रह किया कि वे अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलें। सुदामा द्वारका जाते हैं, जहां श्रीकृष्ण उन्हें देखकर नंगे पांव दौड़े चले आते हैं और उन्हें गले से लगाकर भावविभोर हो जाते हैं। भगवान ने सुदामा के चरण धोए और उन्हें राजसी सम्मान दिया। विदाई के समय सुदामा कुछ न मांगते हुए भी श्रीकृष्ण की कृपा से अपने स्थान लौटते हैं तो उनके घर महल में परिवर्तित हो चुका होता है। फिर भी सुदामा अपनी झोपड़ी में ही रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं।
आगे परीक्षित मोक्ष प्रसंग में शुकदेव जी महाराज ने राजा परीक्षित को सात दिनों तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई। कथा श्रवण से परीक्षित के मन से मृत्यु का भय समाप्त हो गया और तक्षक नाग के विष से मृत्यु होने के बाद वे भगवान के परमधाम को प्राप्त हुए।
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री ने कहा कि बाल्यकाल से ही कथा सुनने वाले बच्चों का जीवन सफल और सन्मार्ग पर चलता है। कथा से प्रेरणा मिलती है, और जीवन में भगवान के आदर्शों को अपनाने की भावना जागती है। उन्होंने कहा, “यदि बीज की देखभाल नहीं की जाए तो फसल खराब हो जाती है, वैसे ही अगर बच्चों को संस्कार नहीं मिले तो भविष्य की पीढ़ी दिशाहीन हो जाती है। जवानी में हम अक्सर इन बातों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन जब समझ आती है तब तक देर हो चुकी होती है।”
कथा कार्यक्रम में सुमन मिश्रा, कमलावती मिश्रा, कंचन पांडेय, रेनू, प्रमोद सिंह, नीरज तिवारी, जगदीश यादव, जयचंद, चंद्रभान मिश्रा, अंशु जैन, शिखा सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।