
लखनऊ। मनकामेश्वर शनि हनुमान मंदिर, सुरेन्द्र नगर, कमता, लखनऊ में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन भावपूर्ण वातावरण में जारी है। कथा के दौरान अपने अमृतमयी वाणी से श्रोताओं को भावविभोर करते हुए प्रसिद्ध भागवताचार्य डॉ. कौशलेंद्र महाराज ने कहा कि “भागवत” अवसाद को मिटाने वाली और जीवन में आने वाले अवरोधों का समाधान देने वाली ग्रंथ है। इसका आश्रय लेने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं रहता।
उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने स्वयं शुकदेव रूप में संसार को भागवत कथा सुनाई थी। अच्छे और बुरे कर्मों का फल हमें अवश्य भुगतना पड़ता है। इस संदर्भ में उन्होंने महाभारत के पात्र भीष्म पितामह का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे वे छह महीने तक वाणों की शय्या पर लेटे रहे और जब उन्होंने भगवान कृष्ण से इसका कारण पूछा, तो कृष्ण ने उन्हें उनके पूर्व जन्म के एक कर्म का स्मरण कराया, जब उन्होंने एक नाग को कांटों पर फेंका था। उसी कर्म का फल उन्हें इस जन्म में भुगतना पड़ा।
महाराज जी ने कहा कि हमें प्रत्येक कर्म को करने से पहले अच्छे-बुरे का विचार अवश्य करना चाहिए, क्योंकि कर्म का फल निश्चित है।
उन्होंने भागवत को भावप्रधान और भक्ति प्रधान ग्रंथ बताया और कहा कि भगवान प्रेम के अधीन होते हैं, उन्हें केवल सत्य और प्रेम ही प्रिय है। सत्यनिष्ठ और प्रेममय भक्त भगवान को अत्यंत प्रिय होते हैं।
कलयुग में कथा श्रवण ही सच्चा सुख प्रदान करता है। इससे दुख और पाप समाप्त होते हैं तथा शांति और आनंद की प्राप्ति होती है। भागवत कलयुग का अमृत है और सभी दुखों की एकमात्र औषधि है।
डॉ. कौशलेंद्र महाराज ने श्रद्धालुओं से अपील की कि जब भी अवसर मिले, भागवत कथा अवश्य सुनें और भजन-कीर्तन करें। उन्होंने कहा कि जब हम दूसरों की चिंता स्वयं से पहले करते हैं, तब भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं। जो लोग सक्षम हैं, उन्हें दान, धर्म और सेवा अवश्य करनी चाहिए।
कथा के अंत में मुख्य यज्ञाचार्य एवं ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री द्वारा विधिवत कर्मकांड सम्पन्न कराया गया। कथा में आशा तिवारी, अल्पना, अन्नपूर्णा, अर्चना, अश्विनी, इंदू, ज्योति, निलीमा, रागिनी, भारती, कंचन, विनिता, अंजू, सुनीता, मनोरमा, सुमन मिश्रा, कमलावती समेत अनेक श्रद्धालुओं ने भाग लिया और आध्यात्मिक आनंद प्राप्त किया।