
•श्रीमद् भागवत कथा के दिव्य उद्घाटन में सबसे कम उम्र की अंतरराष्ट्रीय बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया ने बिखेरी आध्यात्मिक आभा
रिपोर्ट: के के मिश्रा(विशेष संवाददाता)
सूरत, गुजरात। सूरत की धरती पर एक अद्वितीय आध्यात्मिक नजारा तब देखने को मिला, जब संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा (साप्ताहिक ज्ञान महायज्ञ) के शुभारंभ के अवसर पर एक भव्य कलश यात्रा का आयोजन हुआ। सचिन सूरत के राम रामेश्वर मंदिर से कुबेर भंडारी मंदिर तक निकली इस यात्रा में श्रद्धा, भक्ति और सामाजिक समरसता का अनूठा संगम देखने को मिला।

लेकिन इस यात्रा की सबसे बड़ी विशेषता रही—विश्व की सबसे कम उम्र की अंतरराष्ट्रीय बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया (गोरक्ष धाम) की दिव्य उपस्थिति, जिन्होंने अपनी मधुर वाणी और आत्मिक ज्ञान से कथा का उद्घाटन कर वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
कलश यात्रा: नारी शक्ति की आस्था का प्रतीक
कलश यात्रा में सैकड़ों महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में सिर पर कलश धारण कर भाग लिया। ‘हरे कृष्ण-हरे राम’ और ‘राधे-राधे’ के मंत्रोच्चार से गूंजते मार्ग पर भक्तिभाव की लहरें उमड़ पड़ीं।
वहीं, छोटे बच्चे और युवा भी उत्साह के साथ यात्रा में शामिल हुए। मार्ग में जगह-जगह पुष्पवर्षा ने इस आयोजन को यादगार बना दिया।

बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया: मासूमियत में आध्यात्मिक ज्ञान का सागर
आठ वर्षीय श्वेतिमा माधव प्रिया का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी कथाओं से पहचान बना चुकीं श्वेतिमा ने जब श्रीमद् भागवत महापुराण के दिव्य प्रसंग सुनाने शुरू किए, तो श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
श्वेतिमा ने धर्म, भक्ति और मानवता का सरल और प्रभावशाली वर्णन किया। उनकी वाणी में श्रीकृष्ण लीला, नंदोत्सव और रुक्मिणी विवाह के प्रसंगों ने श्रोताओं को भक्ति में डुबो दिया।
श्वेतिमा का संदेश: “धर्म का सच्चा रूप वही है, जो प्रेम, करुणा और एकता सिखाए। श्रीमद् भागवत कथा केवल कहानी नहीं, बल्कि जीवन को सच्चे मार्ग पर ले जाने का अमृत है।”धार्मिक आयोजन में सामाजिक सौहार्द का संदेश
इस आयोजन ने एक बार फिर साबित किया कि भक्ति का मार्ग समाज को जोड़ता है, तोड़ता नहीं। सामाजिक समरसता संस्था के अध्यक्ष ई. राहुल सिंह और श्रुति सिंह ने कहा,
“यह कलश यात्रा समाज को जोड़ने की प्रेरणा है। धर्म का सार मानवता की सेवा में निहित है।” आयोजन को सफल बनाने वाले समर्पित सहयोगी
इस भव्य कार्यक्रम को सफल बनाने में कई गणमान्य जनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई: आचार्य गौरव पाण्डेय, डॉ. डी.आर. रेवाला, सुशील सिंह, डॉ. ए.के. सिंह, संदीप दीक्षित, कौशल दुबे, जितेंद्र सिंह, जगदीश सहानी, मिथलेश जी और राजमनी पाण्डेय ने अपनी अथक मेहनत से आयोजन को भव्य बनाया। राम रामेश्वर मंदिर ट्रस्ट के राकेश भाई शर्मा, अखिलेश शर्मा, प्रकाश भाई, विजय शर्मा और लाल बाबू शर्मा का विशेष योगदान रहा। आयोजन की शोभा बढ़ाने वालों में मदन मोहन मालवीय, आकाश, डॉ. रागिनी पाण्डेय, शुभम सिंह, कृष्णा सिंह, नेहा, राम आशीष पाण्डेय, प्रदीप और दीप नारायण का नाम उल्लेखनीय है।
🌸 भक्ति, अध्यात्म और एकता का अमिट प्रभाव यह कलश यात्रा न केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित रही, बल्कि समाज में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के सिद्धांत को साकार किया। महिलाओं की श्रद्धा, युवाओं का जोश और बच्चों की मासूम भक्ति ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।
यह आयोजन एक बार फिर साबित करता है कि धर्म का उद्देश्य मनुष्यों को जोड़ना है, तोड़ना नहीं। सूरत की इस भव्य यात्रा ने भक्ति, मानवता और सामाजिक समरसता का जो संदेश दिया, वह लंबे समय तक प्रेरणा देता रहेगा,