•सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा में बोले कथावाचक
बाराबंकी। तहसील क्षेत्र के सनाकापुर हथौन्धा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास ने रासलीला में भगवान शंकर का आना एवं श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के प्रसंग का वर्णन श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। रविवार की शाम की बेला में तहसील रामसनेहीघाट इलाके के सनाकापुर मजरे हथौन्धा में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा मे लखीमपुर खीरी नैमिष धाम से आये कथा वाचक पंडित हरिकान्त शुक्ल ने श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय कथा का श्रवण श्रोताओं कराया गया।
कथावाचक पंडित हरिकान्त शुक्ल ने कथा को विस्तार देते हुए कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ, कथा में रुक्मणी विवाह के वर्णन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।
कथा व्यास ने श्रीमद्भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है, भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ।
कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है यदि कोई कमी रहती है, तो वह मात्र संकल्प की होती है संकल्प एवं कपट को जो व्यक्ति त्याग देता है उसकी रक्षा प्रभु निश्चित रूप से करते है।
कथा वाचक श्री शुक्ल ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रासलीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा।