
प्रयागराज। पवित्र मां गंगा, मां यमुना और अदृश्य मां सरस्वती नदी के संगम तट पर आयोजित विश्व के सबसे बड़े धार्मिक-सांस्कृतिक समागम महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई। वहीं नई परंपरा के साथ श्रद्धालुओं को अनोखा उपहार दिया गया। यह उपहार पाने वालों की अगली पीढ़ी भी इस उपहार को सम्हाल कर रखेगी। महाकुम्भ में ऐतिहासिक पहल के तहत देश-विदेश से आए संतों और श्रद्धालुओं को शगुन के रूप में 51 हजार तुलसी के पौधे भेंट किए गए। पहली बार कल्पवासियों और श्रद्धालुओं को तुलसी, केला और जौ भेंट किया गया।
वन और पर्यावरण विभाग के सहयोग से बाघंबरी मठ की तरफ से श्रद्धालुओं को यह निशानी सौंपी गई।इसमें प्रयागराज का मशहूर लाल अमरूद, नीम, बेल, तुलसी, आम के पौधे संतों और श्रद्धालुओं को दिए गए, जिसे विदेशी श्रद्धालु अपने साथ ले गए। अब भारत समेत रूस, जर्मनी, फ्रांस, इजरायल, इटली की पीढ़ियों के सामने महाकुम्भ का महाप्रसाद यादगार निशानी के तौर पर हमेशा मौजूद रहेगा।
रूस, जर्मनी, फ्रांस,इजरायल और इटली से आए श्रद्धालु यहां से अमरूद,बेल,आम और तुलसी के पौधों को अपने देश ले गए,जिससे यह महाकुम्भ पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन के तहत इस परंपरा को शुरू किया गया,जिसे अखाड़ों,महामंडलेश्वरों और संत समाज ने खूब सराहा।
बड़े हनुमान मंदिर और बाघंबरी मठ से श्रद्धालुओं को विशेष प्रसाद दिया गया। श्रद्धालुओं को तुलसी, बेल, आम और लाल अमरूद के पौधे देकर एक अनोखी निशानी भेंट की गई। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की इस मुहिम से न केवल धार्मिक बल्कि पारिस्थितिक संतुलन को भी बल मिलेगा। इस प्रकार महाकुंभ को डिजिटल कुंभ के साथ ग्रीन कुंभ बनाने के लिए शानदार शुरुआत हुई।
प्रयागराज का अमरूद और बेल का स्वाद महाकुम्भ से मिली यह अनोखी भेंट आने वाले वर्षों तक भारत और विदेशों में श्रद्धालुओं की यादों में ताजा रहेगी।आने वाली पीढ़ियों तक प्रयागराज के अमरूद और बेल का स्वाद हमेशा पहुंचता रहेगा।कल्पवासियों और संत समाज ने इस पहल की जमकर सराहना की है।