बस्ती। खरीफ फसलों की कटाई अपने चरम पर है। मण्डल में खरीफ फसलों की कटाई उपरान्त रबी सत्र की बुवाई प्रारम्भ हो गयी है, माह नवम्बर में रबी फसलों की बुवाई के दृष्टिगत उर्वरक डी0ए0पी0 व अन्य फास्फेटिक उर्वरकों की मांग कृषकों में अधिक रहती है। उक्त जानकारी देते हुए संयुक्त कृषि निदेशक अविनाश चन्द्र तिवारी ने बताया कि किसान डी0ए0पी0 का प्रयोग काफी समय से करते आ रहे है। रबी फसलों जैसे-गेहॅू, सरसों, आलू, मटर व चना आदि फसलों में डी0ए0पी0 न मिलने की दशा में किसान भाई एन0पी0के0- 20ः20ः0ः13/12ः32ः16/10ः26ः26 एवं टी0एस0पी0 का प्रयोग कर अच्छी उपज प्राप्त कर सकते है।
उन्होने बताया कि तिलहनी फसलों में विशेष रूप से टी0एस0पी0/एस0एस0पी0 का प्रयोग किये जाने की ही संस्तुति की जाती है। डी0ए0पी0 के अपेक्षाकृत एन0पी0के0 एवं एस.एस.पी. अधिक घुलनशील है, जिससे पौधो को आसानी से अन्य पोषक तत्वों प्राप्त हो जाते हैं तथा पोषक तत्वों का क्षरण नहीं होता है। उर्वरक एन0पी0के0 में नाइट्रोजन व फास्फोरस के साथ-साथ पोटाश भी उपलब्ध होता है, जो रबी सीजन की दाने वाली फसलों की गुणवत्ता के साथ ही पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है, जिससे फसलें प्रतिकूल मौसम में प्रभावित नही होती है।
उन्होने कृषक भाइयों से अपील किया है कि रबी फसलों के गुणवत्तापूर्ण एवं अधिक उपज के लिए डी0ए0पी0 न मिलने की दशा में किसान भाई एन0पी0के0- 20ः20ः0ः13, 12ः32ः16, 10ः26ः26 एवं तिलहनी फसलों में टी0एस0पी0 तथा सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए कर सकते है।
————