
जयपुर। राजस्थान में एसआई भर्ती घोटाले को लेकर हाईकोर्ट ने आरपीएससी की निष्क्रियता पर कड़ी नाराजगी जताई। जस्टिस समीर जैन की अध्यक्षता वाली बेंच ने आरपीएससी के कार्यवाहक चेयरमैन कैलाश चंद्र मीणा से सीधे सवाल किया—जब आयोग के दो सदस्यों के नाम सामने आए, तो एफआईआर दर्ज कराने की जिम्मेदारी आपकी नहीं थी?
आरपीएससी में कुछ भी संभव— हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए पूछा, क्या आरपीएससी का कोई धणी-धोरी है? अदालत ने कहा कि आयोग पूरे मामले में साइलेंट मोड में है, जबकि इतनी गंभीर अनियमितताएं उजागर हो रही हैं।
एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने कोर्ट को बताया कि पहले आरपीएससी में इस तरह की गड़बड़ियाँ होती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। इस पर हाईकोर्ट ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा—जो अब हो रहा है, वो 3-4 साल बाद पता चलेगा।
ईडी की एंट्री तय, हाईकोर्ट सख्त
याचिकाकर्ता ने प्रवर्तन निदेशालय को पार्टी बनाने के लिए आवेदन दायर किया था। इस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि अब इसकी जरूरत नहीं, क्योंकि अदालत पहले ही ईडी को जांच में शामिल करने के आदेश दे चुकी है।
सदस्यों की नियुक्ति पर भी उठे सवाल
हाईकोर्ट ने आरपीएससी में सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए और मौखिक टिप्पणी में कहा कि आयोग की कार्यप्रणाली पारदर्शी नहीं दिख रही है।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि कोर्ट के इन तीखे सवालों के बाद सरकार और आयोग क्या रुख अपनाते हैं।