•अपने गुरु की सेवा में रहेंगे भगवान सूर्य; विवाह, मुंडन, जनेऊ जैसे शुभ कामों के लिए मकर संक्रांति तक नहीं रहेंगे मुहूर्त।
Dhanu Kharmas 2024: आज यानी 15 दिसंबर को रात 10 बजकर 19 मिनट पर भगवान भास्कर धनु राशि में प्रवेश करेंगे। भगवान भास्कर यानी सूर्य के इस राशि में प्रवेश के साथ शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। इसे धनु खरमास भी कहते हैं। ये स्थिति लगभग एक माह तक बनी रहती है। अर्थात 14 जनवरी (मकर संक्रांति) तक खरमास रहेगा। मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा और खरमास खत्म हो जाएगा। अब अगले एक महीने तक सूर्य देव अपने गुरु बृहस्पति की राशि धनु में रहेंगे। खरमास को मलमास भी कहा जाता है। खरमास में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ जैसे शुभ काम के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं।
हिन्दी पंचांग के एक वर्ष में दो बार मलमास (खरमास) आता है। एक बार सूर्य जब धनु राशि में रहता है और दूसरा तब जब सूर्य मीन राशि में रहता है। धनु और मीन राशि का स्वामी बृहस्पति है।
उज्जैन के एक विद्वान ज्योतिषाचार्य का कहना है कि- पौराणिक मान्यता है कि खरमास के समय में सूर्य देव अपने गुरु बृहस्पति की सेवा में रहते हैं, इस वजह से वे किसी शुभ काम में उपस्थित नहीं हो पाते हैं। शुभ कामों की शुरुआत पंचदेवों की पूजा के साथ ही होती है। पंचदेवों में गणेश, शिव, विष्णु, देवी दुर्गा और सूर्य शामिल हैं। सूर्य अपने गुरु की सेवा में लगे रहते हैं और इस कारण वे विवाह, जनेऊ, गृह प्रवेश जैसे शुभ कामों में शामिल नहीं हो पाते हैं, इस वजह से खरमास में मांगलिक कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं।
धनु संक्रांति पर कर सकते हैं ये शुभ काम:- धनु संक्रांति तीर्थ स्नान करने की परंपरा है। अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं।
संक्रांति पर दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल, खाना, तिल-गुड़, फल आदि चीजें दान करनी चाहिए। किसी गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करना चाहिए।
इस दिन अपने इष्टदेव का विशेष पूजन करें। भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। गणेश जी को दूर्वा और मोदक चढ़ाएं। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। बाल गोपाल को माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं।
खरमास में विवाद, गुस्सा और किसी के साथ दुर्व्यवहार करने से बचना चाहिए। किसी का अपमान न करें। खरमास पूजा-पाठ के साथ ही आत्मचिंतन का समय है। इस मास में धर्म-कर्म के साथ ही अपनी सेहत सुधारने के लिए योग-ध्यान को अपनी जीवन शैली में शामिल करें।
इस महीने में धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए और उनकी सीख को जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। किसी संत के प्रवचन सुनें। नदी-तालाब जैसे जल स्रोतों की सेवा करने का संकल्प लें। पर्यावरण को संरक्षित करने वाले कार्य करें।