•हरौरा बाजार में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत का तीसरा दिन।
बल्दीराय/सुल्तानपुर। जो नीति नियम व सिद्धांत के अनुसार काम करे वह सुनीति व जो अपनी रुचि इच्छा से काम करे वह सुरुचि। सुरुचि से किया गया कार्य कभी-कभी बड़ी हानि पहुंचाता है। उक्त बातें कथा व्यास कैलाश नारायण तिवारी गायत्री शक्तिपीठ सुल्तानपुर ने बल्दीराय तहसील क्षेत्र के हरौरा बाजार में चल रही सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस की कथा में कही। तृतीय दिवस की कथा में कथा व्यास जी ने भक्त ध्रुव प्रहलाद की कथा का मनोरम वर्णन किया।
कथा व्यास ने अनेक छोटी-छोटी लोक कथाओं के माध्यम से परिवार व समाज मे हो रहे विघटन कारी घटनाओं पर ध्यानाकर्षण किया। कथा के क्रम मे उन्होंने मन की दशा का बड़ा ही मनोरम वर्णन किया। उन्हाने कहा कि जब मन नियंत्रित होगा तो कार्य भी सुंदर होगा व सन्तुष्टि भी मिलेंगीं। मन को साधने से ही जीवन में परमानन्द की प्राप्ति होती है। कथा व्यास ने सुरुचि द्वारा बालक ध्रुव को राजा की गोद से नीचे उतार देने की कथा का बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया।
उन्होंने कहा बच्चों के मन मे सांसारिक बातों के साथ ईश्वर व ब्रह्म की तरफ भी प्रेरित करें। तभी बच्चों में सद्गुणों का विकास होगा। बच्चे के कोख में आने पर माताओं के द्वारा किये गए कार्यों का प्रभाव कोख में पल रहे बच्चे पर सीधा असर डालता है। अस्तु माताओं को व परिवार सभी को सदैव सदाचरण को अपनाना चाहिए। तभी विश्व का कल्याण होगा। देश व धर्म को बचाना है तो परिवार अपने बच्चों में श्रद्धा पैदा करें। परम पिता को प्राप्त करने के लिए तप की आवश्यकता होती है। जब संकल्प शक्ति मजबूत होती है तो कार्य की सिद्धि होती है। इ
स प्रकार कथा व्यास ने श्रीमद्भागवत से जुड़े अनेक प्रसंगों का बड़ा ही मनहर वर्णन किया। मेरा जीवन सारा बीते तेरा नाम जपते जपते।
कोई बाधा न आने पाए,तेरी राह चलते चलते।जैसे भजनों पर भक्तगण देर रात तक झूमते रहे।
आयोजक मथुरा प्रसाद विश्वकर्मा ने व्यास पीठ की आरती उतारी। इस मौके पर चंदन उपाध्याय, नीरज पांडेय, दिलीप उपाध्याय, ज्ञान चंद्र मोदनवाल, सूरज विश्वकर्मा, नीरज विश्वकर्मा सहित तमाम लोग मौजूद रहे।