
•श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिवस पर श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह और महारास की दिव्य झांकी बनी आकर्षण का केंद्र
रिपोर्ट: के के मिश्रा
गोरखपुर। स्वर सागर संस्था द्वारा रामलीला मैदान, मानसरोवर, गोरखनाथ में आयोजित सप्तदिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन व्यास पीठ से कथा रसपान कराते हुए सबसे कम आयु की अंतरराष्ट्रीय बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया ने कहा कि गोपियों के साथ श्रीकृष्ण का महारास (रासलीला) जीव के ब्रह्म से मिलन का प्रतीक है। यह आत्मा और परमात्मा के अद्वैत प्रेम की अनुभूति है।

उन्होंने बताया कि शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को कथा सुनाते हुए कहा था कि जब श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इन्द्र के प्रकोप से बचाने हेतु गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठिका अंगुली पर उठाया, तभी ब्रजवासियों को श्रीकृष्ण के नारायण स्वरूप का बोध हुआ।
इसके उपरांत उन्होंने गोकुल में गोपियों संग महारास रचाकर दिव्य आनंद की अनुभूति कराई। फिर अक्रूर जी के साथ मथुरा जाकर कंस वध किया और मथुरावासियों को अत्याचार से मुक्त किया। इसके बाद जरासंध का मानमर्दन करते हुए माता रुक्मिणी का हरण कर उनसे विवाह किया।
इस अवसर पर श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह और महारास लीला की दिव्य झांकी प्रस्तुत की गई, जो दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रही।
आचार्य गौरव पाण्डेय ने व्यास पीठ का वैदिक रीति से पूजन कराया।
मुख्य यजमान के रूप में सुनीशा श्रीवास्तव एवं सुनील श्रीवास्तव ने श्रद्धा भाव से पूजन-अर्चन कर आयोजन को गरिमा प्रदान की।
भजन गायक नंदू मिश्रा ने भावपूर्ण भजनों की प्रस्तुति से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
कथा में राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त पुष्पदंत जैन, डा सत्या पाण्डेय,अंतरराष्ट्रीय भजन गायक नंदू मिश्रा, सरदार दिलावर सिंह, डा. संतोष वर्मा, डा. विनय श्रीवास्तव, डा. सतीश चंद्र शुक्ला, के. सी. चौधरी, उमेश मिश्रा, पूनम त्रिपाठी, प्रतिभा गुप्ता , आशुतोष शुक्ला, रामकिशन प्रजापति,अनीता श्रीवास्तव,योगेन्द्र दूबे, सह आचार्य सचिन पाण्डेय, नीतू,सुनीता पाण्डेय,निधि श्रीवास्तव, वागीश चंद श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण कर भाव-विभोर हुऐ।