बस्ती। आर्य समाज नई बाजार बस्ती द्वारा स्वामी दयानन्द विद्यालय सुरतीहट्टा बस्ती में आयोजित आर्य वीरांगना चरित्र निर्माण शिविर का शुभारंभ महेश सिंह थानाध्यक्ष पुरानी बस्ती ने वैदिक यज्ञ के पश्चात ध्वजारोहण से किया। बालिकाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नारी शक्ति के संरक्षण से देश मजबूत होगा। संस्कृत व संस्कृति दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं- “संस्कृति संस्कृताश्रिता”। संस्कृत भाषा व आर्य शिक्षा की रक्षा गुरुकुल करते रहें तथा इस समाज में संस्कार देने, उत्साह भरने व युवाओं को भटकाव से बचाने का कार्य केवल आर्य वीर दल कर सकता है जो की शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति में ही निहित है। राष्ट्र में शारीरिक शक्ति से सम्पन्न, मानसिक संकल्पों से रक्षित,आत्मिक दृढ़ता से युक्त युवा समाज केवल आर्यवीर दल ही दे सकता है।
कहा कि आर्य समाज में प्रविष्ट होकर जीवन सुरक्षित व व्यवस्थित होता है यह सन्देश समाज तक देने वाले आचार्य, उपदेशक, प्रचारक, पुरोहित अपने-अपने स्तर से निरंतर कार्य कर रहे हैं। जीवन के प्रथम चरण से ही किशोर और किशोरियों को सुसंस्कृत, शक्तिसंपन्न बनाकर सेवा के लिए समर्पित करने का कार्य किया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि को वैदिक साहित्य भेंट किया गया।
ओमप्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने कहा कि आर्य वीर दल का मुख्य उद्देश्य संस्कृति रक्षा, शक्ति संचय, सेवाकार्य है। इस शिविर के माध्यम से प्रशिक्षिकाओं द्वारा बालिकाओं को आत्मरक्षा के गुर जैसे लाठी, नियुद्धम, नानचक्र, योग और यज्ञ आदि सिखाते हुए उन्हें प्रतिभासम्पन्न एवं चरित्रवान बनाना है। हरिद्वार से पधारे आचार्य योगेन्द्र मेधावी ने कहा कि शारीरिक उन्नति के लिये आहार, निद्रा, ब्रह्मचर्य, स्वाध्याय के स्तम्भों को सुदृढ़ बनाये रखना आवश्यक है। शारीरिक, आत्मिक एवं चारित्रिक रूप से बलवान् मनुष्य रत्न के समान चमकता हुआ चहुँ ओर अपनी अलग प्रतिष्ठा, सम्मान व पहचान बनाता है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए शिविर संचालक आदित्यनारायण गिरि ने कहा कि सेवा मानव को मानव से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी है। सेवा करना तप समान है। सेवा करने वाले के हृदय में प्रेम, करुणा, उदारता, परोपकार और सहनशीलता का होना आवश्यक है। उत्तम संस्कृति का अनुसरण अपने पूर्ण पुरुषार्थ द्वारा शारीरिक एवं चारित्रिक बल को अर्जित कर मानवमात्र की सेवा में लगा देना ही आर्य वीर दल का उद्देश्य है। इस शिविर के माध्यम से बालिकाओं को आपसी सहयोग, सुरक्षा, स्वच्छता और स्वावलंबन के तौर तरीके सिखाए जाएंगे। शिविर का समापन दिनांक 30 दिसंबर को दोपहर में होगा।