
•अंसारी की मार्च 2024 को बांदा के अस्पताल में हार्ट अटैक से हो गई थी मौत
•जेल में बंद रहे मुख्तार के खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले थे लंबित
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को निर्देश दिया कि वह गैंग्सटर एवं नेता मुख्तार अंसारी की मौत से जुड़ी चिकित्सा और मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर उनके बेटे उमर को उपलब्ध कराए। जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने उमर अंसारी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद ये निर्देश दिया।
उमर अंसारी ने कहा कि उनके पिता की मौत से संबंधित चिकित्सा और न्यायिक जांच रिपोर्ट राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत नहीं की गई। बता दें कि मऊ सदर से पांच बार विधायक रहे 63 वर्षीय मुख्तार अंसारी की 28 मार्च 2024 को उत्तर प्रदेश के बांदा स्थित एक अस्पताल में हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई थी।
साल 2005 से जेल में बंद रहे मुख्तार के खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले लंबित थे।मुख्तार को भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था।
मुख्तार की मृत्यु से पहले बेटे ने दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और पिता की जान को खतरा बताते हुए उन्हें उत्तर प्रदेश के बाहर किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने का निर्देश देने का आग्रह किया था।योगी सरकार ने 2023 में पीठ को आश्वासन दिया था कि यदि आवश्यक हुआ तो वह बांदा जेल के अंदर मुख्तार की सुरक्षा मजबूत करेगी ताकि उन्हें कोई नुकसान न हो। गुरुवार को योगी सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि उमर को दस्तावेज मुहैया कराए जाएंगे।
कोर्ट ने उल्लेख किया कि मुख्तार अंसारी का पोस्टमार्टम किया गया था और बाद में मजिस्ट्रेट जांच भी की गई थी। कोर्ट ने योगी सरकार से दो सप्ताह के भीतर उमर को चिकित्सा और जांच रिपोर्ट की प्रतियां उपलब्ध कराने को कहा, जो उसके बाद तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल कर सके।
बता दें कि मुख्तार अंसारी की मृत्यु के समय उनके भाई और गाजीपुर से सांसद अफजल अंसारी ने आरोप लगाया था कि मुख्तार को जेल में धीमा जहर दिया जा रहा था। हालांकि अधिकारियों ने इस आरोप से इनकार किया था।