
सुल्तानपुर। जिले में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना और भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही करवाना आसान नहीं है। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरों टॉलरेंस की नीति अफसरों की मनमानी से झूठी साबित हो रही है। जिन अधिकारियों कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी आरोप लगता है, पता नहीं ऐसी कौन सी खुशबू आती है कि जिम्मेदार कार्यवाही के बजाय आरोपियों पर मेहरबान हो जाते हैं। जाँच पड़ताल और दंडित करने के बजाय दागी को ऊँची कुर्सी सौंप कर और बड़ा घोटाला करने की हरी झंडी दिखाकर शिकायतकर्ता का मनोबल तोड़ रहे हैं।
ऐसा ही एक हैरान करने वाला मामला दुबेपुर ब्लॉक के एक चर्चित पंचायत सचिव की तैनाती से जुड़ा है। सचिव पर बहलोलपुर गांव में बिना कार्य कराये लाखों रुपए के गबन का आरोप है। प्रकरण की शिकायत डीएम के यहाँ सशपथ की गयी है। पिछले माह फैजाबाद मंडल की टीम सहित डिप्टी डायरेक्ट द्वारा लौहर दक्षिण गांव में लाखों का घोटाला पकड़ा था। यहाँ भी उक्त सचिव का कारनामा उजागर हुआ। जिस पर अभी कार्यवाही चल ही रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दागी सचिव को दंडित करने के बजाय उन्हें एडीओ पंचायत की कुर्सी सौंपने की तैयारी है। दागी कर्मचारी अपने को दूबेपुर ब्लॉक का एडीओ पंचायत प्रभार पाने का दावा करने के साथ ही ब्लॉक में मौजूद अन्य कर्मचारी को धमका रहा है। बता दे कि विवादों की वजह से पिछले साल सचिव को एडीओ पंचायत दूबेपुर के चार्ज से हटाया गया था। अब फिर से ताजपोशी की तैयारी से सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इतना मेहरबान क्यों हैं डीपीआरओ।