
•7 दिवसीय श्रीविष्णु महायज्ञ संत सम्मेलन।
बस्ती। श्री बाबा झुंगीनाथ धाम में 7 दिवसीय श्रीविष्णु महायज्ञ संत सम्मेलन में श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम और भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव उल्लासपूर्वक मनाया गया। श्रद्धालु भक्तजनों ने श्रीकृष्ण का दर्शन कर अपनी प्रसन्नता को व्यक्त किया। ‘‘भये प्रकट कृपाला, दीन दयाला कौसल्या हितकारी’’ के बीच गुब्बारे उडाकर मिठाई का वितरण हुआ।
व्यासपीठ से आचार्य देवर्षि त्रिपाठी ने कहा कि सृष्टि में जब पापाचार, दुराचार बढ जाता है तो परमात्मा विविध रूप धारण कर नर लीला करते हुये पृथ्वी को पाप से मुक्त करते हुये सदाचरण सिखाते हैं। प्रत्येक अवतार के पीछे लोक मंगल की कामना छिपी है। ईश्वर भक्तों की सुख शांति के लिये स्वयं कितना कष्ट भोगते हैं यह भक्त ही जानते हैं। महात्मा जी ने कहा कि परमात्मा जिसे मारते हैं उसे भी तारते हैं। उन्हें सत्ता नहीं संत और सहजता प्रिय है। रावण का बध कर श्रीराम चन्द्र ने लंका का राज्य विभीषण को सौंप दिया और कन्हैया ने कंस का बध कर राज्य उग्रसेन को दे दिया।
महात्मा सन्तोष शुक्ल ने कहा कि जीव भगवान की शरण ले तो उसके सभी पाप दूर हो जाते है। ‘‘ सन मुख होय जीव मोहि जबही। जन्मकोटि अघ नाशहुं तबही।। मनुष्य एक दूसरे को देव रूप मानने लगें तो कलयुग, सतयुग बन सकता है। महात्मा जी ने कहा कि जीवन कर्म भूमि है और उसका उचित अनुचित फल भोगना पड़ता है। जीवन को जितना सहज बनाकर प्रभु को अपर्ण करेंगे जीवन में उतनी ही शांति मिलेगी। श्रीराम अति सहज हैं, ‘‘अति कोमल रघुवीर सुभाऊ’’। उन्हें छल नहीं निर्मल मन भाता है।
संयोजक ध्रुवचन्द्र पाठक, मुख्य यजमान गुरू प्रसाद गुप्ता, उदय नरायन पाठक, सीता पाठक, जगदम्बा पाण्डेय, शीतला गोस्वामी, शिवमूरत यादव, रामसुन्दर, उदयनरायन पाठक, ओम प्रकाश पाठक, परमात्मा सिंह, अनिल पाठक, मनोज विश्वकर्मा, नरेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी, त्रियुगी नारायण त्रिपाठी, हृदयराम गुप्ता, पिन्टू मिश्रा, बब्लू उपाध्याय, रामसेवक गौड़, उर्मिला त्रिपाठी, बीरेन्द्र ओझा , अमरजीत सिंह , शुभम पाठक , राम बहोरे , उमेश दुबे सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे।