
-नवीनीकरण के लिए शुल्क और आधार अपडेट का आवेदन ही पर्याप्त होना चाहिए : होम्योपैथी महासंघ
-पंजीकृत चिकित्सको से चरित्र प्रमाण पत्र मांगने पर आपत्ति।
अयोध्या। होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड द्वारा विगत माह प्रदेश में होम्योपैथी चिकित्सको के एक निर्देश या यूं कहें चेतावनी जारी की थी कि यदि तय समय सीमा में अभिज्ञान पत्र नवीनीकरण नही कराया तो रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया जाएगा। इसे लेकर चिकित्सको में तमाम तरह के संशय व भय व्याप्त है। इस बाबत होम्योपैथी महासंघ के चिकित्सकों की ऑनलाइन बैठक कर विमर्श किया और पाया कि नियमानुसार अभिज्ञान पत्र जो कि चिकित्सक का एक पहचान पत्र भी है उसका नवीनीकरण कराया जाना साथ ही आधार व मोबाइल नम्बर अपडेट किया जाना समयोचित प्रक्रिया है जिसका पालन किया जाना चाहिए किंतु मेडिसिन बोर्ड द्वारा अपडेशन के साथ अपनायी जा रही प्रक्रिया पूरी तरह त्रुटिपूर्ण और पंजीकृत चिकित्सक की गरिमा गिराने के साथ स्वयं बोर्ड पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है। महासंघ के महासचिव डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी ने बातचीत में बताया कि प्रदेश के आयुष मंत्री व बोर्ड के रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर चिकित्सकों के हित में त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया में सुधार की मांग की है।
सचिव डॉ दीपक सिंह ने कहा हो इसके लिए बोर्ड चिकित्सको के तमाम शैक्षणिक व आवश्यक प्रमाण पत्रों व प्रोविशनल पंजीकरण के प्रमाणीकरण से संतुष्ट होकर ही स्थायी पंजीकरण प्रदान करता है, जिसमे अभिज्ञान पत्र का रिन्यूवल एक प्रक्रिया है किंतु अकारण किसी का पंजीकरण निरस्त नही किया जा सकता। बोर्ड ने अभिज्ञान पत्र रिन्यूवल के लिए नवीन रजिस्ट्रेशन कराते समय वांछित प्रमाण पत्रों को ही कट पेस्ट कर सूची में डाल दिया है इसका प्रमाण है बोर्ड द्वारा पूर्ण संतुष्टि के बाद पंजीकृत चिकित्सको से अस्थायी या प्रोविजनल पंजीकरण प्रमाण पत्र की मांग।
इसके साथ ही चिकित्सकों को अपने सभी प्रमाण पत्र किसी राजपत्रित अधिकारी से सत्यापित कराने होंगे, व दो अलग अलग अधिकारियों से उनके नाम पदनाम मोबाइल नम्बर सहित स्वयं के चरित्र प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा एवम दस रुपये की नोटरी पर किसी अन्य राज्य में पंजीकृत न होने का शपथपत्र भी प्रस्तुत करना होगा।
इस विषय मे होम्योपैथी महासंघ के डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी का कहना है कि उपरोक्त नवीनकरण के दायरे में सभी सरकारी सेवारत व निजी होम्योपैथी चिकित्सक आएंगे,सरकारी सेवा के होम्योपैथी मेडिकल ऑफिसर स्वयं राजपत्रित अधिकारी श्रेणी हैं व निजी होम्योपैथी चिकित्सक जो कि बोर्ड में पंजिकृत हैं भिन्न मेडिकल प्रमाण पत्र जारी करने को अधिकृत हैं ऐसे में अपने ही शैक्षिक प्रमाण पत्रों को अन्य राजपत्रित अधिकारी से सत्यापित कराए जाने की आवश्यकता व दो अन्य राजपत्रित अधिकारियों से चरित्र प्रमाण पत्र की मांग किया जाना भी पंजीकृत चिकित्सक की गरिमा को गिराने वाला है और जब एक बार बोर्ड द्वारा चिकित्सकों को आवंटित स्थायी पंजीकरण प्रमाण पत्र में उल्लेख किया है कि उसने सभी बिंदुओं पर संतुष्ट होकर रजिस्ट्रेशन प्रदान किया है तो अब पुनः इस तरह का सत्यापन स्वयं बोर्ड के सत्यापन पर ही प्रश्रचिन्ह लगाता है कि पंजीकरण के समय संतुष्ट हुआ बोर्ड अभिज्ञान पत्र के नवीनीकरण के समय असंतुष्ट कैसे हो सकता है? और क्या उसे अपने पंजीकृत चिकित्सकों के चरित्र पर संदेह है?
अभिज्ञान पत्र नवीनीकरण पंजीकृत चिकित्सको का होता है तो वांछित प्रमाण पत्रों की सूची में बोर्ड द्वारा प्रदत्त स्थायी पंजीकरण प्रमाण पत्र न मांग कर प्रोविजनल पंजीकरण जो कि इंटर्नशिप अवधि के लिए होता है उसकी सत्यापित छायाप्रति की मांग स्वयं त्रुटिपूर्ण है क्या इससे यह आशय नही निकाला जाना चाहिए कि प्रस्तुत आवेदन प्रारूप त्रुटिपूर्ण होने के साथ अनावश्यक जटिल प्रक्रियायुक्त भी है। अन्य किसी राज्य में पंजीकृत होने पर चिकित्सक का पंजीकरण निरस्त करने का अधिकार बोर्ड को है अतः इसके लिए चिकित्सक से स्वघोषणा पत्र ही पर्याप्त आधार होना चाहिए।
होम्योपैथी चिकित्सकों की इन्ही आपत्तियों के बावत होम्योपैथी महासंघ ने आयुष मंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र व बोर्ड के रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर पंजीकृत होम्योपैथी चिकित्सकों के अभिज्ञान पत्र के नवीनीकरण हेतु बोर्ड द्वारा प्रस्तुत संक्षिप्त आवेदन जिसमे चिकित्सक का मोबाइल नम्बर, आधार , रजिस्ट्रेशन नम्बर आदि अंकित है एवं निर्धारित शुल्क जमा करवा कर अभिज्ञान पत्र के नवीनीकरण की प्रक्रिया को संशोधित कर सरल करने की मांग की है।