
•9 दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा में पांचवें दिन हुआ बाल लीलाओं का वर्णन।
बस्ती। श्रीरामकथा मनमोहक, भवभयतारक और मर्यादापूर्वक मानव जीवन जीने का प्रमुख साधन है। श्रीराम बचपन से ही तेजस्वी थे और उनकी बाल लीलाओं से सभी आनंदित होते थे। यह विचार स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने नारायण सेवा संस्थान ट्रस्ट द्वारा आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा के पांचवें दिन दुबौलिया बाजार स्थित राम विवाह मैदान में व्यक्त किए।
रामजी के यज्ञोपवीत और बाल लीलाएं
महात्मा जी ने बताया कि प्रभु श्रीराम का यज्ञोपवीत संस्कार हुआ, जिसके बाद वे गुरु आश्रम में पहुंचे और अल्प समय में ही सभी विद्याओं और कलाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। नामकरण के पश्चात, श्रीराम के मनोहर बाल रूप का वर्णन किया गया।
प्रभु की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा:
एक बार माता कौशल्या ने श्रीराम को स्नान कराकर उनका श्रृंगार किया और पालने में सुला दिया। फिर वे अपने कुल के इष्टदेव भगवान रंगनाथ की पूजा करने लगीं। पूजा समाप्त कर नैवेद्य अर्पित किया और जब रसोईघर से लौटीं, तो उन्होंने अपने पुत्र श्रीराम को भोजन करते हुए देखा।
माता चौंक गईं और घबराकर श्रीराम के पास गईं, तो उन्होंने बालक को गहरी नींद में सोता हुआ पाया। जब दो स्थानों पर एक साथ पुत्र को देखा, तो वे अचंभित रह गईं। उनके हृदय में कंपन होने लगा और वे सोचने लगीं कि यह बुद्धि का भ्रम है या कोई विशेष चमत्कार?
श्रीरामजी मधुर मुस्कान के साथ माता की ओर देख कर हंस दिए और फिर माता को अपना अखंड अद्भुत रूप दिखाया, जिसमें एक-एक रोम में करोड़ों ब्रह्मांड समाहित थे। माता का शरीर पुलकित हो गया और वचन नहीं निकल पा रहे थे। उन्होंने आँखें मूंदकर श्रीराम के चरणों में सिर नवाया। इसके बाद श्रीराम पुनः अपने बाल रूप में आ गए।
भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं ने की श्रीराम के दर्शन
श्रीराम की बाल लीलाएं देखने के लिए भगवान शिव, काकभुशुंडि और अनेक देवी-देवता अयोध्या धाम पहुंचे और इस दिव्य दर्शन का आनंद प्राप्त किया।
रामकथा के श्रवण से मिलता है मोक्ष
स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत और श्रीरामचरितमानस के श्रवण से ही मानव भवसागर से पार हो सकता है। श्रीरामकथा केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि मानव कल्याण का अमृत है। जो भी श्रद्धालु इसे श्रद्धा और भक्ति से सुनते हैं, वे निश्चित रूप से प्रभु श्रीराम की कृपा के पात्र बनते हैं।
मुख्य यजमान और आयोजन समिति
श्रीराम कथा के पांचवें दिन मुख्य यजमान अजय सिंह और विभा सिंह ने कथा व्यास का विधिपूर्वक पूजन किया।
कथा में सैकड़ों श्रद्धालु हुए शामिल
इस अवसर पर आयोजकों में बाबूराम सिंह, अनिल सिंह, कन्हैया दास, राजन नारायण पांडेय, सत्यनारायण द्विवेदी, रामचंद्र सिंह, डॉ. अभिषेक सिंह, राधेश्याम, सभाजीत चौधरी, जीत बहादुर सिंह, मातिवर सिंह, विश्वंभर, दुर्गा प्रसाद गुप्ता, श्यामलाल गुप्ता, दंगल गुप्ता, रामकिंकर सिंह, संजीव सिंह, सुनील सिंह, जसवंत सिंह, अनूप सिंह, प्रमोद पांडेय, हर्षित सिंह, आदित्य सिंह, अरुण सिंह, मनोज गुप्ता, देवनारायण चौहान, डॉ. के.पी. मिश्रा, नरसिंह सिंह, नीरज गुप्ता, रामू, इंद्रपरी सिंह, शीला सिंह सहित सैकड़ों श्रद्धालु श्रीराम कथा में शामिल हुए और अमृतमयी कथा का रसपान किया।