बभनान(बस्ती)। जनपद अंतर्गत बभनान चीनी मिल का पेराई सत्र 21 नवंबर से चालू है। मगर कई क्रय केंद्रों पर उतराई को लेकर विवाद की स्थिति है। वहां किसान उतराई नहीं देना चाहते हैं, और क्रय केंद्र पर उपलब्ध मजदूर बिना सौ रुपये लिए गन्ना उतारने को तैयार नहीं हैं।
मौजूदा पेराई सत्र में किसान अब उतरवाई देना नहीं चाहते हैं। इसके चलते श्रमिक क्रय केंद्र छोड़कर भाग रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक ट्रांसपोर्टर ने बताया कि गन्ना क्रय केंद्र पर लोड करने के लिए जो लेबर आते हैं, उनका ट्रांसपोर्टर से कोई लेना देना नहीं होता। वह कहां से आते हैं, और क्या उन्हें मिलता है, यह भी किसी ट्रांसपोर्टर को नहीं पता रहता है।
यह कार्य चीनी मिल के ही जिम्मेदार करते हैं। वर्षों से चीनी मिल द्वारा ट्रांसपोर्टरों के खाते में क्रय केंद्रों पर काम करने वाले लेबरों का भी पैसा डाला जाता है। यह पैसा ट्रांसपोर्टर द्वारा लेबरों को चेक से दिया जाता है। मौजूदा सत्र में गन्ना लेकर पहुंचने वाले किसान श्रमिकों को मजदूरी नहीं देना चाह रहे हैं। इसके चलते कई जगह क्रय केंद्र से लेबर नदारत हो गए हैं। कई जगह पर गन्ना लोडिंग नहीं हो पा रही है।
रविवार को जब गौर ब्लाॅक क्षेत्र के रमवापुर क्रय केंद्र का पड़ताल की गई तो वहां श्रमिक नदारद थे, जबकि तेंदुआ क्रय केंद्र पर गाड़ी फंस जाने के कारण तौल नहीं हो पा रही थी।
परंपरा बन गई उतराई देना
गन्ना विभाग के लोगों की मानें तो नियम है कि किसान जब क्रय केंद्र पर गन्ना लेकर पहुंचे तो वह तौल करने के बाद गन्ने को अपनी गाड़ी से उतार कर उसका चट्टा लगा दे, लेकिन किसान गन्ना उतारकर चट्टा लगाने के बजाय क्रय केंद्र के श्रमिकों से गन्ना उतारवाने के लिए उन्हें उतरवाई देने लगे। धीरे-धरे यह परंपरा बन गई। किसानों का कहना है कि गन्ना उतरवाई के नाम पर शोषण किया जा रहा है।
●गौर क्षेत्र के रमवापुर क्रय केंद्र पर विवाद होने से वहां रविवार को दिन में तौल हो पाई है। पिकौरा क्रय केंद्र पर रास्ता खराब होने से वहां का गन्ना सूअरबरवा केंद्र पर तौल हो रहा है, जबकि आमा बी क्रय केंद्र आमा क्रय केंद्र से संबंध किया गया है। ~-दिनेश राय, महाप्रबंधक, बभनान चीनी मिल