
नई दिल्ली। देश के टोल बूथ को लेकर सरकार जल्द ही एक बड़ा बदलाव करने वाली है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि देश के राजमार्गों पर टोल भुगतान का तरीका बदलने जा रहा है। सरकार अगले 15 दिनों के भीतर एक नई टोल पॉलिसी पेश करने की तैयारी में है, जिसके मई से लागू होने की संभावना है।
हालांकि, मंत्री ने इस नई नीति के बारे में विस्तृत जानकारी साझा नहीं की है, लेकिन उन्होंने संकेत दिया है कि इसके लागू होने के बाद टोल को लेकर किसी को भी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा। इस नई प्रणाली के आने से मौजूदा फास्टटैग सिस्टम भी पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
गडकरी ने स्पष्ट किया कि नई प्रणाली के तहत फिजिकल टोल बूथ की आवश्यकता नहीं होगी। इसके बजाय, सैटेलाइट आधारित ट्रैकिंग और वाहनों की नंबर प्लेट की पहचान तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इसके माध्यम से टोल की राशि सीधे वाहन मालिकों के बैंक खातों से स्वचालित रूप से कट जाएगी।
क्या सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम?
देश में सड़कों के बढ़ते जाल के साथ टोल बूथों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है। सरकार अब इन टोल बूथों को समाप्त कर सैटेलाइट आधारित टोलिंग प्रणाली को बढ़ावा देने जा रही है, जो वर्तमान FASTag सिस्टम की जगह लेगी। टोल बूथों के निर्माण से आधारभूत संरचना की लागत काफी बढ़ जाती है, जिससे टोल संग्रह की लागत में भी इजाफा होता है। इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए सरकार यह नई टोलिंग प्रणाली लाने जा रही है। इस नई तकनीक का नाम है GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) (जीएनएसएस), जिसमें गाड़ियों में एक खास डिवाइस लगाया जाएगा। यह डिवाइस यह ट्रैक करेगा कि गाड़ी ने कितनी दूरी तय की है, और उसी आधार पर टोल चार्ज वसूला जाएगा।
इस नई प्रणाली में सैटेलाइट तकनीक की मदद से सीधे वाहन चालक या मालिक के बैंक खाते से टोल की राशि काटी जाएगी। वाहनों की निगरानी सैटेलाइट के माध्यम से की जाएगी और तय की गई दूरी और समय के आधार पर टोल की राशि की गणना की जाएगी। सरकार का मानना है कि यह नई प्रणाली टोल संग्रह को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाएगी, साथ ही यात्रियों के लिए भी यह काफी सुविधाजनक साबित होगी।
क्या है 20 किलोमीटर का नियम?
नोटिफिकेशन में बताया गया है कि अगर कोई कार या अन्य व्हीकल हाईवे, एक्सप्रेसवे, टनल या फिर ब्रिज से ट्रैवल करता है, जिस पर टोल टैक्स लागू होता है। इस दौरान 20 किलोमीटर का सफर फ्री रहेगा। यह सफर अगर 20 किलोमीटर से अधिक का होता है, उसके बाद तय नियम के आधार पर रुपये वसूले जाएंगे।