बस्ती। मंडल में धान खरीद अभियान गति नहीं पकड़ पा रहा है। बिचौलिया और आढ़ती किसानों के घर जाकर 2250 रुपये प्रति क्विंटल की दर से उनकी उपज खरीद रहे हैं। किसानों को भी क्रय केंद्रों पर जाकर तौल कराने से दरवाजे पर ही बेचना ज्यादा फायदेमंद नजर आ रहा है।
किसानों का कहना है कि जब 2250 रुपये दरवाजे पर ही मिल जा रहे हैं तो 50 रुपये के लिए क्रय केंद्र पर धान ले जाने में कोई समझदारी नहीं है। क्रय केंद्रों पर नमी और धूल-मिट्टी का हवाला देकर कटौती की जाती है। ढुलाई और पल्लेदारी अलग से देना पड़ता है। हालांकि इस बार प्रदेश सरकार की तरफ से इन सबके लिए 20 रुपये अतिरिक्त दिए जा रहे हैं लेकिन किसानों को दरवाजे पर तौल कराना ज्यादा आसान लग रहा है।
अब तक की खरीद पर नजर डालें तो मंडल में 3178 मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है, जिसमें बस्ती जिले में 1012.56 मीट्रिक टन, सिद्धार्थनगर में 711.49 एमटी और संतकबीरनगर जिले में 1401.73 एमटी धान खरीद की जा चुकी है। आरएफासी दिनेश चंद्र मिश्र ने बताया कि किसानों की आवक बढ़ रही है। लक्ष्य के सापेक्ष खरीदारी तेज हो रही है।
किसानों की जुबानी समस्या
बनकटी, मुंडेरवा आदि क्षेत्र में किसानों से आढ़ती घर पर ही 1800 से 2300 प्रति क्विंटल धान खरीद रहे हैं। किसान लवकुश, कृष्णा चौधरी, रामशंकर आदि ने बताया कि धान क्रय केंद्रों पर ले जाने का झंझट है। बनकटी रिपोर्टर के अनुसार पीसीएफ के क्रयकेंद्र सजना खोर, खोरिया बसौढ़ी, महथा सजहरा तथा पीसीयू के पक्का बाजार, अमाना बाद टिकरिया, पकड़ीं चंदा व मार्केटिंग सहित साधन सहकारी समितियों पर क्रय केंद्र खोले गए हैं, लेकिन अभी तक खरीदारी नहीं है। किसान बिचौलियों के हाथ बेचने को मजबूर हैं। वहां के वशिष्ठ मिश्रा व अजय शुक्ला ने बताया कि खरीदारी न होने से बिचौलियों के हाथ 1700 सौ रुपये में धान बेचना पड़ा। सचिव ने बताया कि अभी बोरा नहीं मिला न ही मिल निर्धारित है। इसलिए खरीदारी नहीं हुई है। उसके बाद धान में नमी के कारण किसान नहीं ला रहे हैं।
पंखा और झन्ने का झाम, किसान आढ़तियों को दे रहे धान
किसान रमेश चंद्र चौधरी बताते हैं कि क्रय केंद्रों पर धान बेचने से किसान इसलिए कतराता है कि जब वह धान बेचने समिति पर पहुंचता है, तो उसके धान को पंखा तथा झन्ना लगा दिया जाता है, जिससे उसका धान लगभग 10 प्रतिशत कम हो जाता है। किसान गोपाल दुबे ने बताया कि आढ़त पर धान बेचने से यह फायदा है कि आढ़त वाले खुद अपने आदमी को किसान के घर पर ही धान तौलाने के लिए भेज करके 2200 से 2250 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से दे देते हैं। ऑनलाइन पंजीकरण, टोकन, नमी गुणवत्ता के लिए अतिरिक्त खर्चा, धान ले जाने में खर्च तथा पूरे दिन का समय लगता है, जबकि आढ़त पर ना तो ग्रेडिंग की जाती है और न ही नमी की कोई विशेष समस्या रहती है।