
•मांगलिक कार्यों की होगी शुरुआत, बाजार में लौटेगी रौनक
बस्ती/लखनऊ।
13 अप्रैल को खरमास की समाप्ति के साथ ही शुभ कार्यों का इंतजार खत्म हो रहा है। 14 अप्रैल से विवाह, मुंडन, सगाई और गृहप्रवेश जैसे मांगलिक आयोजनों की शुरुआत हो जाएगी। इसके साथ ही एक बार फिर से शहनाई की गूंज, बैंड-बाजों की धुन और बाजारों की चहल-पहल लौट आएगी।
खरमास के कारण रुके थे शुभ कार्य
पंडित देवश्य मिश्र के अनुसार, सूर्य के मीन राशि में गोचर करने के साथ ही खरमास प्रारंभ होता है, जो कि 14 मार्च से 13 अप्रैल तक रहा। इस अवधि में विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों को करना शास्त्रों के अनुसार वर्जित होता है। केवल उपनयन, नामकरण, गृहप्रवेश और धार्मिक अनुष्ठान जैसे कुछ कार्य इस दौरान किए जा सकते हैं।
शुभ कार्यों की अवधि और मुहूर्त
14 अप्रैल से 11 जून तक मांगलिक कार्य पूरे विधिपूर्वक संपन्न हो सकेंगे। इस दौरान कुल 24 शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं—
- अप्रैल: 14, 16, 18, 20, 24, 25, 29
- मई: 1, 5, 7, 8, 9, 11, 13, 15, 17, 22, 23, 28
- जून: 2, 4, 5, 7, 9
फिर लगेगा विराम
11 जून को गुरु (बृहस्पति) के अस्त होने से एक बार फिर शुभ कार्यों पर विराम लग जाएगा। इसके बाद 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ चातुर्मास आरंभ होगा। इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, और चार महीने तक मांगलिक कार्य शास्त्रों के अनुसार वर्जित माने जाते हैं।
अगली बहाली नवंबर में
चातुर्मास की समाप्ति के बाद 1 नवंबर को हरिप्रबोधिनी एकादशी के दिन से पुनः शुभ कार्य आरंभ होंगे। तब तक सभी प्रकार के विवाह व बड़े आयोजन रुके रहेंगे।
बाजार में दिखेगा असर
शुभ कार्यों की बहाली से शादी-ब्याह की तैयारियों में तेजी आएगी। इससे होटल, मैरिज हॉल, कैटरिंग, वस्त्र विक्रेताओं और बैंड-बाजे वालों के व्यापार में रौनक लौटेगी। मई में सबसे अधिक शुभ मुहूर्त होने से उस महीने विशेष तेजी रहने की संभावना है।
बता दें कि खरमास की समाप्ति के साथ ही आम जनजीवन में फिर से उल्लास और उमंग का माहौल बनेगा। पारंपरिक मांगलिक आयोजनों की गूंज न सिर्फ घरों में बल्कि बाजारों और गलियों में भी सुनाई देगी। शास्त्रीय मान्यताओं और पंचांग के अनुसार, यह समय विवाह योग्य युवक-युवतियों के लिए भी अत्यंत शुभ और उपयुक्त है।