
•नाथ नगर विकासखंड के ग्राम पंचायत नटवा का बताया जा रहा है मामला।
केके मिश्रा संवाददाता।
संत कबीर नगर। पारदर्शिता, सहभागिता व जवाबदेही के आधार पर जनपद में चल रहे सोशल ऑडिट के दौरान प्रचार प्रसार के अभाव में भीड़ जुटाने में ग्राम प्रधान व सोशल आडिट टीम रही नाकाम, 10 लोगों के बीच में ऑडिट किया गया संपन्न। मामला नाथनगर विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत नटवा का है जहां ब्लॉक कोऑर्डिनेटर अखिलेश शर्मा द्वारा सोशल ऑडिट ग्राम पंचायत में विकास कार्यों में खर्च किए गए धनराशि तथा कराए गए कार्यों का स्थलीय व भौतिक सत्यापन करने के बाद बैठक की गई, जिसमें मात्र 10 लोगों के बीच में सोशल ऑडिट संपन्न हुआ।

अपने आप में दम भरने वाले ब्लॉक कोऑर्डिनेटर अखिलेश शर्मा, जो कभी 70 और 100 लोगों के उपस्थित के पहले ऑडिट नहीं किया करते थे। आज क्या कारण है कि वह 10 लोगों के बीच में ही स्थलीय और भौतिक सत्यापन करने के बाद खुली बैठक एमआईएस रिपोर्ट के आधार पर रोजगार सेवक के द्वारा मिलकर सत्यापन किया गया।
बताते चलें कि उक्त ग्राम पंचायत में काफी वित्तीय अनियमितता देखने को मिली। जिसमें 16 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2024 में सुरेंद्र के खेत से बलुआ घाट रोड तक चक रोड पर मिट्टी का कार्य किया गया। जिसमें 2 लाख 22 हजार रुपए का वित्तीय अनियमितता देखा गया है। जिसमें यह माना जाता है कि इन्होंने कार्य की रूपरेखा जो तैयार की वह जनवरी में दिखाया गया है जिस समय गेहूं की फसल चौतरफा नजर आती है ऐसे समय में चक रोड पर मिट्टी का कार्य कैसे किया गया। दूसरी तरफ चुन्नीलाल के खेत से पोखरा तक चक रोड पर मिट्टी का कार्य 5 अक्टूबर 2023 से 20 अक्टूबर 2023 तक संपन्न कराया गया उस समय भी धान की फसल हर तरफ नजर आती थी। ऐसे में फसलों के मुताबिक जानकार किसानों के मन तो अक्टूबर में धान की फसल काटने की कगार पर होती है यह सवाल उठना लाजिमी है कि ग्राम पंचायत सदस्यों द्वारा ऐसे समय में कार्य योजना का प्रारूप कैसे तैयार किया गया।
इतना ही नहीं तकनीकी सहायक द्वारा किस प्रकार इस्टीमेट व एम बी की गई उक्त कार्य में 686 मजदूर लगाए गए जिसमें 17780 रुपए का भुगतान किया गया जो पूरी तरह से तृतीय अनियमितता का द्योतक है ऐसे समय में सोशल आडिट टीम द्वारा उन्हीं कार्यों की आडिट की गई। कहीं ना कहीं से अगर देखा जाए तो इस वित्तीय अनियमितता के पीछे आडिट टीम व ग्राम प्रधान के बीच बीच आपसी तालमेल और सामंजस्य का दिखाई दे रहा है। जिसको अपने आप में सोशल आडिट टीम के ब्लैक कोऑर्डिनेटर अखिलेश शर्मा द्वारा जो अपने आप में माने जाने वाले ऑडिटर हैं, उनके द्वारा मात्र 10 लोगों के बीच में ही रोजगार सेवक को बैठक मिस रिपोर्ट से मिलान करते हुए ऑडिट खत्म कर दी गई, सोचनीय है। ऐसे में सोचना यह है कि इस वित्तीय अनियमितता का क्या होगा जो शासन को खुली तरह से चुनौती दे रहा है।