लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से बृहस्पतिवार को राजभवन, लखनऊ में प्रमुख समाचार-पत्रों एवं प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधियों ने प्रेस संवाद कार्यक्रम में मुलाकात की।
इस अवसर पर पत्रकारों के सवालों के जबाब देते हुए राज्यपाल जी ने विभिन्न मुद्दो पर अपनी बात रखी, जिसमें अनौपचारिक चर्चा और सौहार्दपूर्ण वातावरण में विचारों का आदान-प्रदान हुआ।
एक पत्रकार ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से उनके शिक्षिका से राजनीति तक के सफर की प्रेरणादायक यात्रा के बारे में जानना चाहा।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षिका के रूप में समाज को शिक्षित करने का जो अनुभव मिला, उसने उन्हें राजनीति में भी सही दिशा में कार्य करने की प्रेरणा दी।
उन्होंने इसे जीवन का ऐसा अनुभव बताया जिसने उन्हें हर भूमिका में अनुशासन और सेवा का महत्व सिखाया।
उन्होंने महिलाओं और बच्चों की समस्याओं को करीब से देखा, जिसने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया।
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल और अब उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में राजभवन को वह कैसे देखती हैं ? इस पर राज्यपाल जी ने कहा कि दोनों भूमिकाएं भले ही अलग हैं, लेकिन उनका उद्देश्य एक ही है। समाज की भलाई।
उन्होंने कहा कि राजभवन को वह एक ऐसा मंच मानती हैं जहां से शिक्षा, स्वास्थ्य और जनसेवा से जुड़े मुद्दों पर दूरगामी प्रभाव डाला जा सकता है।
अनुशासन और समर्पण के साथ किए गए कार्यों से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
राजभवन द्वारा शिक्षा और सामाजिक उत्थान के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, फिर भी प्रदेश के बच्चे अपने विश्वविद्यालयों के बजाय बाहर पढ़ाई करना क्यों पसंद करते हैं ? प्रश्न पर राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए निरंतर प्रयास हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में रोजगारपरक शिक्षा और शोध को बढ़ावा देकर इस स्थिति में बदलाव लाया जा रहा है। अब उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। नैक और एनआईआरएफ रैंकिंग में विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन उत्कृष्ट हो रहा है।
विश्वविद्यालयों द्वारा डिजिलॉकर में डिग्रियां अपलोड की जा रही हैं, जिससे विद्यार्थियों के धन और समय की बचत हो रही है। राज्यपाल की छवि एक सख्त प्रशासक के रूप में है, लेकिन जो लोग उनसे मिलते हैं, वे बताते हैं कि वह बेहद उदार और संवेदनशील हैं।
क्या उत्तर प्रदेश की परिस्थितियों ने उन्हें सख्त रवैया अपनाने के लिए प्रेरित किया है ? प्रश्न पर राज्यपाल जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि अनुशासन और दृढ़ता उनके व्यक्तित्व का हिस्सा हैं, लेकिन इसका उद्देश्य हमेशा बेहतर परिणाम सुनिश्चित करना होता है।
राज्यपाल बनने के बाद से राज्यपाल आनंदीबेनपटेल ने विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने और भारत सरकार की योजनाओं की समीक्षा को किस तरह देखा है ? पर राज्यपाल जी ने कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि शिक्षा और जनकल्याणकारी योजनाएं सही तरीके से लागू हों।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों को आत्मनिर्भर और उत्कृष्ट बनाने के लिए किए गए प्रयास उनके लिए संतोषजनक हैं और वह इसे एक उपलब्धि मानती हैं।
उन्होंने बताया कि आंगनवाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाने, टी0बी0 मरीजों के पोषण, और सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए टीकाकरण में भी राजभवन का महत्वपूर्ण योगदान है।
विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह के दौरान छोटे बच्चों को आमंत्रित किया जाता है, जिससे वे प्रेरणा लें और शिक्षा का महत्व समझें।
प्रदेश के विश्वविद्यालयों की प्रकृति अलग-अलग है। ऐसे में सभी विश्वविद्यालयों में एक समान पाठ्यक्रम कैसे लागू हो सकता है ? पर राज्यपाल जी ने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य शिक्षा में समानता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। पाठ्यक्रम का निर्धारण छात्रों की क्षेत्रीय आवश्यकताओं और भविष्य की मांगों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार के 70 प्रतिशत पाठ्यक्रम सरकार द्वारा तय किया जाता है, जबकि 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय अपनी जरूरतों के अनुसार बनाते हैं।