इन्ट्रीग्रेटेड फार्मिंग के जरिये किसान अहमद अली ने लिखी सफलता की कहानी।

Vijaydoot News

हर साल फार्मिंग से करते हैं लाखों की कमाई।

धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय की रिपोर्ट।

किसान अहमद अली

बस्ती। जनपद के दुबौलिया विकास खंड में एक किसान अहमद अली ने इंट्रीग्रेटेड यानी एकीकृत खेती के जरिये अपनी आमदनी में इजाफा कर पूरे प्रदेश के किसानों में एक मिशाल कायम की है। वह सब्जियों की खेती के साथ ही मछली पालन, मधुमक्खी पालन से हर साल लाखों रूपये की आमदनी करते हैं। जो शायद सामान्य सरकारी नौकरी से संभव नहीं हैं।
अहमद अली मूल रूप से जनपद के दुबौलिया बाज़ार के रहने वाले हैं और पिछले 20 सालों से किराए पर खेत लेकर खेती कर रहे हैं। उन्होंने इस इन्ट्रीग्रेटेड फार्मिंग के जरिये सफलता की ऐसी कहानी लिखी है जो न केवल दूसरे किसानों के लिए नजीर बन गई बल्कि उस किसान ने इस विधि से अपनी माली हालत को सुधारने में खेती के जरिये सफलता प्राप्त किया है। जिसके चलते आज उस किसान के पास किसी भी सुख सुविधा की कमी नहीं रह गई है। अहमद अली ने 20 वर्ष पहले शुरू किये गए इन्ट्रीग्रेटेड फार्मिंग को जरिया बना कर अपनी खेती को न केवल घाटे से उबारा बल्कि आज वह एकीकृत खेती के जरिये अपने खेतों से अनाज के फसल के साथ- साथ कई तरह के काम कर रहे हैंं।


अहमद अली ने इन्ट्रीग्रेटेड फार्मिंग के जरिये छोटे व मझोले किसानों के लिए खेती की नजीर प्रस्तुत की है। 20 वर्ष पहले तक वह किराए के 4 एकड़़ में लगातार खेती कर रहे थे लेकिन वह घाटे से दो चार हो रहे थे। वह जितनी लागत लगाते उतना उत्पादन मिल पाना नामुमकिन हो जा रहा था। इसी दौरान एक ट्रेनिंग कार्यक्रम में उन्हें इन्ट्रीग्रेटेड फार्मिंग के बारे में पता चला जिसमें फसलों को उगाने के साथ-साथ एक दूसरे पर निर्भर बागवानी व पशुपालन जैसे अन्य व्यवसायों को अपनाने की सलाह दी गयी थी।


इसके बाद ट्रेनिंग से वापस आ कर उन्होंने निर्णय लिया की वह नये सिरे से इन्ट्रीग्रेटेड फार्मिंग को अपना कर खेती करेंगे। उन्होंने ट्रेनिंग में बताये गए विधि के अनुसार सबसे पहले अपने 15 एकड़ खेत में मछली पालन के लिए तालाब की खुदाई शुरू करायी। उसमें पंगेसियस, पापलेट, इण्डियन मेजरकार्प, कामन क्रॉप्स, सिलवर क्रॉप्स व ब्रास क्रॉप्स की प्रजाति की मछलियों का पालन शुरू किया। चूंकि मछलियों के ऊपर आने वाले आहार के खर्चे को कम करने के लिए इन्ट्रीग्रेटेड फार्मिंग के टेनिंग के दौरान यह बताया गया था कि मछली पालन साथ में मुर्गी पालन व बत्तख पालन किया जाये तो उनके बीट को मछलियों के आहार के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। उन्होंने मछली पालन के साथ-साथ बत्तख पालन भी शुरू कर दिया। इनके बीट का इस्तेमाल वह मछलियों के चारे के लिए करते हैं। इससे वह मछलियों के चारे पर आने वाले खर्च में कमी लाने में कामयाब रहे हैं। वह हर साल 15 लाख रूपये की मछली बेचते हैं।
अहमद अली पिछले 20 वर्षों से किराए के 5 हेक्टेयर खेत में सब्जियों की सहफसली खेती करते हैं जिसके बीच वह मधुमक्खी पालन का कार्य भी करते हैं। इससे उन्हें कम लागत में चार गुना मुनाफा प्राप्त होता है। इन दिनों उन्होंने केले की फसल के साथ सहफसली खेती के रूप में मचान विधि से सब्जियों की खेती की है। जिससे उनका मुनाफा कई गुना बढ़ गया है। वह सब्जियों की खेती के साथ ही धान,गेहूं, चना, अरहर, सरसों, मसूर, बरसीम, अलसी, मटर, लहसुन, प्याज और कई तरह की सब्जियों की खेती शामिल है। वह मिश्रित खेती के जरिये खेती में मौसम के मार और जोखिम को काफी हद तक कम करने में सफल रहे हैं।


उन्होंने अपने खेतों की मेड़ों पर इमारती लकड़ी के पेड़ों को लगा रखा है। आज वह बागवानी के माध्यम से हर साल अच्छी आमदनी प्राप्त करते हैं।
उन्होंने इन्ट्रीग्रेटेड फार्मिंग खेती की कमाई से ही सोलर पम्प, फसल बुआई से लेकर हर तरह के यंत्रों की उपलब्धता कर ली है। जिसके जरिये वह खेती के साथ- साथ खेती से जुड़े दूसरे काम भी निबटाते हैं।
इन्ट्रीग्रेटेड फार्मिंग के जरिये किसान अहमद अली ने सुख सुविधाओं से जुड़ी सभी चीजें मुहैया करा ली। आज उनके पास वह सारी चीजें हैं जो किसी बड़़े व्यवसायी के पास होने चाहिए। यह सब सम्भव हुआ है सिर्फ खेती को नये नजरिये से देखने के चलते।

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